देहरादूनः उत्तराखंड के लिए आज गौरवशाली दिन है। आज गढ़ रत्न जो पहाड़ की नारी की चिंता, बुजुर्गों का दर्द, पलायन और लोक जीवन के तमाम अनछुए पहलुओं को अपने गीतों के माध्यम से बयां करते है उन्हें उच्च सम्मान से नवाजा गया है। दिल्ली के विज्ञान भवन में उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया है। नेगी दा को ये अवार्ड मिलने से प्रदेश में खुशी की लहर है।
नरेंद्र सिंह नेगी को उत्तराखंड में लोक संगीत के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए वर्ष 2018 के पुरस्कार के लिए चुना गया था। उनके साथ ही देशभर की कला व साहित्य क्षेत्र की 44 अन्य हस्तियों को भी यह पुरस्कार प्रदान किया गया। अब 12 अप्रैल को नेगी दा अपने साथी कलाकारों के साथ राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के सामने अपने लोकगीतों की प्रस्तुति भी देंगे। नेगी दा के गानों की खास बात यह है कि उनमें यहां के लोगों के जीवन दुख-दर्द, सुखी जीवन के पहलुओं को दर्शाया है। उन्होंने संगीत के क्षेत्र की शुरुआत गढ़वाली गीतमाला से की थी। वह गढ़वाली फिल्म चक्रचाल, घरजवैं, मेरी गंगा होली त मैंमा आली आदि फिल्मों में आवाज दे चुके है। उन्होंने छुंयाल, दगड्या, घस्यारी, हल्दी हाथ समेत कई एलबम में कार्य किया है।
संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भारत में कला वर्ग में दिया जाने वाला सबसे प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार है। इस समारोह में लोककला, संगीत, साहित्य, नाटक एवं विभिन्न विधाओं में उल्लेखनीय कार्य करने वाली देशभर की 44 प्रतिभाओं को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पुरस्कार स्वरुप ताम्र पत्र, अंग वस्त्र और 1 लाख रुपए की धनराशि दी गई। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के विदेश दौरे के चलते उपराष्ट्रपति ने संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार वितरित किए।
नरेंद्र सिंह नेगी का जन्म 12 अगस्त 1949 को पौड़ी में हुआ था। उन्हों ने जीवन शैली, संस्कृति, राजनीति को लेकर अनगिनत गीत गाए हैं। नए गायकों के आने के बावजूद उत्तराखंड के लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी के गीतों की चमक बरकरार है। वहीं नेगी दा को सम्मान मिलने से लोक कलाकारों का कहना है कि नरेंद्र सिंह नेगी साहित्य में हम सभी के लिए आदर्श हैं। उनको यह सम्मान मिलने से हम सब कलाकारों का सम्मान हुआ है। उत्तराखंडी साहित्य को इस सम्मान से नई ऊंचाईयां मिलेगी।