चोपता में ईको टूरिज्म व अतिथिगृह की मिलेंगी सुविधाएं

रुद्रप्रयाग : राज्य के महत्वपूर्ण पर्यटक स्थलों में सुमार जनपद रुद्रप्रयाग के चोपता में पर्यटन विकास के लिए वन विभाग आगे आया है। जिससे पर्यटकों को अब बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी। वन विभाग यहां पर नब्बे के दशक में न्यायालय के आदेश के बाद बंद पड़े गढ़वाल मंडल विकास निगम के अतिथि गृह के संचालन के साथ ही चोपता में इको टूरिज्म विकसित करने का प्रस्ताव तैयार कर रहा है।

चोपता का पूरा क्षेत्र प्रतिबंधित वन क्षेत्र में आता है। यहां के नैसर्गिक सौंदर्य से भरपूर बुग्याल देश ही नहीं अपितु विदेशी पर्यटकों को भी अपनी ओर आकर्षित करते हैं। प्रतिबंधित वन क्षेत्र के अंतर्गत आने से इस पर्यटक स्थल पर मूलभूत सुविधाएं जैसे विद्युत व्यवस्था, पर्यटकों के रहने की सुविधा भी नहीं है। सीमित संख्या में कुछ स्थानीय ग्रामीणों के अतिथि गृह हैं। जिनमें सीमित संख्या में ही पर्यटक आकर रहते हैं। साथ ही यहां पर पर्यटकों के लिए ईको पार्क, साहसिक खेलकूद के भी इंतजाम नहीं है। स्थानीय स्तर पर चोपता क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयास होते रहे, लेकिन इसमें सफलता नहीं मिल पाई, हर बार प्रतिबंधित वन क्षेत्र रुकावट बना रहा।

वर्ष 1991 में यहां पर गढ़वाल मंडल विकास निगम ने अतिथि गृह का निर्माण किया था, लेकिन न्यायालय ने प्रतिबंधित वन क्षेत्र में होने के कारण इसके संचालन पर रोक लगा दी थी, तब से लेकर अभी तक यह बंद पड़ा है। अब वन विभाग इसके स्वयं संचालन को लेकर कार्ययोजना तैयार कर रहा है। वहीं, चोपता में ईको पार्क, साहसिक खेलकूद को लेकर भी वन विभाग कार्ययोजना तैयार कर रहा है। ताकि चोपता को पर्यटन विकास की दिशा में आगे बढ़ाया जा सके। चोपता प्रतिबंधित वन क्षेत्र के अंतर्गत आता है। नब्बे की दशक में बना अतिथि गृह अवैध तरीके से बना था, जिससे यह बंद पड़ा है, अब वन विभाग इसके संचालन की योजना बना रहा है। चोपता में ईको पार्क बनाने को लेकर भी वन विभाग विचार कर रहा है।

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