देहरादून: उत्तराखंड में बिजली उपभोक्ताओं को एक बार फिर से झटका लगा है। प्रदेश में एक बार फिर बिजली महंगी हो सकती है। नियामक आयोग से प्रस्ताव वापस आने के बाद सोमवार को यूपीसीएल ने जो प्रस्ताव भेजा है, उसमें बढ़ोतरी 7.72 प्रतिशत से बढ़ाकर 16.95 प्रतिशत बढ़ोतरी करने की मांग की है। नियामक आयोग अब इसका अध्ययन करने के बाद इसे सुनवाई के लिए स्वीकार करेगा।
दरअसल, यूपीसीएल ने 15 दिसंबर को नियामक आयोग को एक अप्रैल 2023 से बिजली दरों में कुल 7.72 प्रतिशत बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया था। इस प्रस्ताव में यूपीसीएल ने नियामक आयोग का सितंबर 2022-मार्च 2023 तक का 6.5 प्रतिशत सरचार्ज भी खुद ही जोड़ते हुए आगे बढ़ाया था। नियामक आयोग ने इस प्रस्ताव को लौटा दिया था और 26 दिसंबर तक संशोधित प्रस्ताव मांगा था। सोमवार को यूपीसीएल ने संशोधित प्रस्ताव नियामक आयोग को भेज दिया। इसमें कुल मिलाकर 16.95 प्रतिशत बढ़ोतरी की मांग की गई है।
यूपीसीएल ने महंगी बिजली खरीद के घाटे से उबरने के लिए नियामक आयोग में 1355 करोड़ 41 लाख रुपये उपभोक्ताओं से बतौर सरचार्ज वसूली की गुहार लगाई थी। इस पर जनसुनवाई के बाद नियामक आयोग ने यूपीसीएल को 6.5 प्रतिशत सरचार्ज बढ़ोतरी करते हुए बिजली बिल वसूलने की अनुमति दी थी, जिसकी मियाद एक सितंबर 2022 से 31 मार्च 2023 तक रखी गई थी। आयोग का कहना था कि इससे यूूपीसीएल को 380 करोड़ रुपये की कमाई होती। आयोग ने इसके साथ ही 1100 करोड़ की राजस्व कमाई का पूरा फार्मूला भी दिया था।
यूपीसीएल ने 15 दिसंबर को नियामक आयोग में जो टैरिफ बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है, उसमें 6.5 प्रतिशत बढ़े हुए सरचार्ज को भी शामिल कर लिया। नियमानुसार, यूपीसीएल को अपने टैरिफ प्रस्ताव में एक सितंबर से पूर्व की दरें बताते हुए, उसमें जरूरत के हिसाब से नई दरों को जोड़कर प्रस्ताव देना था। मसलन, घरेेलू श्रेणी में 0-100 यूनिट वालों के लिए बिजली दर 2.90 रुपये प्रति यूनिट थी जो कि एक सितंबर से 31 मार्च 2023 तक 2.95 रुपये प्रति यूनिट हुई थी। यूपीसीएल को नए टैरिफ प्रस्ताव में पुरानी यानी 2.90 रुपये प्रति यूनिट को ही बेस बनाकर बढ़ोतरी की मांग करनी चाहिए थी।