– सड़क का मलवा नदी में डालने से भाँगला सेरा,सिमयारी के किसानों की सौ नाली भूमि हुई बंजर
– मलवे से पटी बांदल नदी न ले आये कही बड़ी तबाही
चंद्र प्रकाश बुड़ाकोटी
देहरादून। एक तरफ पीएम का सपना है कि आत्म निर्भर भारत बनाना है, दूसरी ओर अगर सिस्टम ही दसको से आत्मनिर्भर रहे किसानों को बर्बाद कर दे तो क्या कहेंगे।जी हां हम बात कर रहे है उतराखण्ड की राजधानी देहरादून से मात्र 15 किलोमीटर दूर भाँगला सेरा सिमियारी गांव के 40 किसानों की जिनके सामने आज रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। गौरतलब है कि जनपद के रायपुर ब्लॉक के अंतर्गत फुलेत क्यारा मोटरमार्ग के किलोमीटर पांच से भगद्वारीखाल-भुस्ति सड़क का प्रथम चरण का निर्माण कार्य 4 करोड़ की लागत से पीएमजीएसवाई टिहरी खंड द्वारा किया जा रहा है।
ग्रामीणों का दुर्भाग्य देखिए कि सड़क कटान कर रही कंपनी ने मलवे के लिए अलग से डंपिंग यार्ड न बनाकर मालवा सीधे नदी में फेंक दिया,जिस कारण इस नदी से खेतो में आने वाली सिचाई गूल भी जगह जगह टूट गई। किसान व सिमयारी गांव के पूर्व उप प्रधान ह्र्दयराम भट्ट कहते है कभी मटर,आलू ,बिन्स से हरे भरे यह खेत रहते थे लेकिन जब से इस सड़क का काम शुरू हुआ तब से ये सारे बंजर है। ग्रामीणों ने इसका जब बिरोध किया तो ठेकेदार सहित सरकारी अफसर उल्टे ग्रामीणों पर ही भड़क गए।जिसे लेकर ग्रामीणों में रोष ब्याप्त है।
ग्रामीण ऋषिराम जोशी बताते है पहले इन खेतों में सब्जियों की अच्छी फसल होती थी। लेकिन अब भांगलसेरा,सिमयारी गांव के चालीस किसानों को कीमती जमीन बंजर है। ग्रामीणों का खेती किसानी से ही आजीविका चलती है अब हालात यह है कि इतनी बड़ी भूमि सड़क के कारण बंजर हो गई है, किसानों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि सड़क निर्माण के ठेकेदार और पीएमजीएसवाई के अफसरों ने इस मार्ग को बनाने में नियमो की खुलेआम धज्जियां उड़ाई। डंपिंग याड न बनाकर सीधे मलवे को नीचे नदी में फेका गया। जिससे ग्रामीणों को आजीविका का संकट तो खड़ा हुआ ही साथ ही मिट्टी में सोना उगाने वाली यह जमीन बंजर हो गई।
हालांकि स्पष्ठ नियम है कि सड़क निर्माण के समय निकलने वाले मलवे के लिए डंपिंग यार्ड बनाने अनिवार्य है। इस सड़क निर्माण में नियमो का पालन क्यो नही किया गया इसको जानने के लिए जब पीएमजीएसवाई के अफसरों से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो अफसरों ने फोन नही उठाया।अब ग्रामीणों को बरसात का डर सता रहा कि मलवे से पटी नदी कही कोई बड़ी तबाही न ले आये।