दो जून की रोटी को तरस गए हैं उत्तराखंड के लोककलाकार, इनकी कुछ तो मदद करो सरकार…

-लोककलाकारों की पीड़ा किसी को नहीं दिख रही है

-कोई समाजसेवी संगठन भी मदद को नहीं आ रहे हैं आगे

देहरादून (नेटवर्क 10 संवाददाता)। कोरोनाकाल में राज्य की त्रिवेंद्र सरकार हर वर्ग की मदद कर रही है। जरूरतमंदों को भोजन और राशन मुहैया करा रही है तो राज्य के बाहर फंसे उत्तराखंडियों को भी उनके घर गांव लाने में जुटी है। लेकिन एक ऐसा वर्ग है जिसको भारी मदद की दरकार है और उसकी जरूरतें किसी को दिखाई नहीं दे रही हैं। ये है कलाकार वर्ग।

उत्तराखंड के लोककलाकार अपनी आजीविका के लिए देशभर के कई हिस्सों में बसे हैं। ये वो वर्ग है जो हमेशा लोककला की सेवा करता आया है, लेकिन आज कोरोनाकाल में उसे दो जून की रोटी नसीब नहीं हो रही है। इन कलाकारों की तरफ किसी का भी ध्यान नहीं जा रहा है। नेटवर्क 10 टीवी से ऐसे कई लोककलाकारों ने आपबीती कही है। ये कलाकार चाहते हैं कि प्रदेश सरकार उनके बारे में भी सोचे।

ये तमाम कलाकार सोशल मीडिया पर भी एक्टिव हैं और लगातार अपनी मदद की गुहार लगा रहे हैं लेकिन उन पर किसी की नजर नहीं पड़ रही है। लोककलाकार हर रोज अपनी कला से ही दो जून की रोटी जुटाता है। उत्तराखंड के तमाम कलाकार नुक्कड़ नाटकों और मंचीय प्रस्तुतियों से आजीविका कमाते हैं। लेकिन जब से देश में लॉकडाउन हुआ है, ऐसी तमाम गतिविधियां ठप हो गई हैं। और तो और मंचीय गतिविधियों के शुरू होने में पूरा साल भी लग सकता है। ऐसे में ये कलाकार जाएं तो कहां जाएं।

पर्वतीय लोककलाकार देशभर के शहरों में लोकली स्टेज कार्यक्रमों से शाम का गुजारा करते हैं। भले ही इनकी प्रस्तुतियों पर लोग खूब वाहवाही करते हैं, तालियां पीटते हैं, सम्मान देते हैं, लेकिन शायद ही किसी को पता हो कि वो अपनी आजीविका जुटाने के लिए किस कदर मेहनत करता है और फिर उसको मेहनताना कितना मिलता है।

लोककलाकारों में एक तबका ऐसा भी है जो सरकारी कार्यक्रमों से रोजी रोटी कमाता था। इन कलाकारों के ग्रुप अथवा एकल कलाकार राज्य के संस्कृति विभाग में पंजीकृत होते हैं। इन्हें सरकार समय समय पर प्रस्तुयां देने के लिए आमंत्रित करती है। इन्हें दिन का नियत मानदेय दिया जाता है। ऐसे कार्यक्रम भी बंद हैं। यहां तक कि पिछले कार्यक्रमों का मेहनताना भी कलाकारों को विभाग द्वारा नहीं दिया गया है। कोरोनाकाल के ऐसे संकट में इन कलाकारों का मनदेय तो दे दिया जाना चाहिए.

नेटवर्क 10 टीवी कलाकारों की पीड़ा को सरकार के द्वार पर रखने की कोशिश कर रहा है। उम्मीद की जानी चाहिए कि प्रदेश के मुखिया इसका संज्ञान लेंगे और कलाकारों की जरूर मदद करेंगे।

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