देहरादून : अब वन्यजीवों से होने वाले नुकसान का मुआवजा भी आपदा मद में दिया जाएगा। हालांकि, इस संबंध में नवंबर 2019 में शासनादेश जारी किया गया था, लेकिन अभी तक इसका अनुपालन विधिवत नहीं किया जा रहा था। अब प्रदेशभर के प्रभागीय वनाधिकारियों को मंत्री ने शत-फीसद अनुपालन के निर्देश दिए हैं। नियमावली के तहत वन्यजीव से व्यक्ति की मौत पर मुआवजा अब तीन लाख रुपये से बढ़ाकर चार लाख रुपये दिया जाएगा।
वन मंत्री हरक सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के साथ ही कई फैसले भी लिए गए। प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (हॉफ) राजीव भरतरी ने बताया कि वन मंत्री ने वन विभाग की ओर से दिए जाने मुआवजे को आपदा मद में भुगतान सुनिश्चित करने को कहा है। वन्यजीव से नुकसान पर वन विभाग की नियमावली और आपदा की नियमावली में से जो भी अधिक हो, उसी के तहत भुगतान होगा। साथ ही तीन दिन के भीतर भुगतान सुनिश्चित करने का भी प्रयास होगा।
उत्कृष्ट कार्य पर वन पंचायतों को मिलेगा इनाम
प्रदेश में वन पंचायतों की भूमिका को और प्रभावी बनाने का प्रयास किया जाएगा। उत्कृष्ट कार्य करने वाली शीर्ष तीन वन पंचायतों को प्रथम पुरस्कार पांच लाख, द्वितीय पुरस्कार तीन लाख और तृतीय पुरस्कार दो लाख रुपये से सम्मानित किया जाएगा। इससे अन्य वन पंचायतों को भी प्रोत्साहन मिलेगा। वन मंत्री ने बताया कि प्रदेश में तीन हजार से अधिक वन पंचायतें सक्रिय हैं।
वन विभाग की महत्वपूर्ण बैठक में वनों को आग से बचाने पर मंथन किया गया। पीसीसीएफ ने बताया कि अब पूरे साल को फायर सीजन माना जाएगा। इससे पहले यह 15 फरवरी से मानसून आने तक ही फायर सीजन माना जाता था। बीते अक्टूबर-नवंबर और जनवरी में प्रदेश में हुई आग की घटनाओं के बाद यह निर्णय लिया गया है। अब सालभर मुख्यालय में फायर कंट्रोल रूम सक्रिय रहेगा। हर माह इसकी हॉफ स्तर पर समीक्षा भी की जाएगी। फील्ड कर्मियों को अत्याधुनिक उपकरणों से लैस किया जाएगा। इसके लिए केंद्र भी अतिरिक्त बजट की मांग की गई है। ग्रामीणों को जागरूक करने से लेकर फायर लाइन और अन्य कार्य भी पूरे साल किए जाएंगे।
78 फीसद बजट किया जा चुका खर्च
वन विभाग की ओर से वित्तीय वर्ष 2020-2021 में अब तक 78 फीसद बजट खर्च किया जा चुका है। जबकि, कोरोना महामारी के चलते कई कार्य समय पर नहीं हो सके। पौधरोपण अभियान में आई कमी को नए वर्ष में पूरा करने का प्रयास किया जाएगा। लक्ष्य का 90 फीसद शीघ्र पूर्ण करने के लिए भाग तेजी से कार्य कर रहा है। विविध प्रजाति के पौधे प्रदेशभर में लगाए जा रहे हैं। नर्सरियां की संख्या भी बढ़ाई जा रही है।