शाहीनबाग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने दो सदस्यीय समिति बनाई थी जिसने रिपोर्ट भी दी थी, लेकिन प्रदर्शन लगातार चलता रहा और हम इस पर गंभीर है कि लोगों को इससे परेशानी हुई. धरना प्रदर्शन के सड़क या सार्वजनिक स्थल पर धरना प्रदर्शन के अधिकार में लोगों कि सहूलियत का ख्याल रखा जाना चाहिए. विरोध कि भी एक सीमा होती है. सार्वजनिक स्थल को धरना प्रदर्शन के लिए नहीं घेरा जाना चाहिए. यह लोगों के लिए परेशानी का कारण बनता है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केवल निर्दिष्ट क्षेत्रों में ही विरोध प्रदर्शन का अधिकार है. आवागमन का अधिकार अनिश्चित काल तक रोका नहीं जा सकता. शीर्ष अदालत ने कहा कि सीएए को लेकर एक अलग मामला इस अदालत में लंबित है.
ऐसे मामलों में पुलिस करे कार्रवाई
शाहीन बाग में मध्यस्थता के प्रयास सफल नहीं हुए, लेकिन हमें कोई पछतावा नहीं है. सार्वजनिक बैठकों पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है, लेकिन उन्हें निर्दिष्ट क्षेत्रों में होना चाहिए. संविधान विरोध करने का अधिकार देता है, लेकिन इसे समान कर्तव्यों के साथ जोड़ा जाना चाहिए. विरोध के अधिकार को आवागमन के अधिकार के साथ संतुलित करना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा कि ऐसे मामलों में प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए, अदालत के आदेश का इंतज़ार नहीं किया जाए.
दिशा-निर्देश की याचिका में की गई थी मांग
इससे पहले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि अब याचिका का कोई औचित्य नही बनता है. याचिककर्ता अमित साहनी ने कहा था कि ऐसे विरोध जारी नहीं रह सकते, सड़कों को ब्लॉक करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद प्रदर्शन 100 दिनों के लिए चलते रहे, इस मामले में सुनवाई होनी चाहिए और दिशा-निर्देश पास करना चाहिए.
महमूद प्राचा ने कहा था कि लोगो को शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने का अधिकार है. सरकार प्रदर्शन कराने के लिए लोगो को जगह भी देती है. प्राचा ने ये भी कहा कि प्रदर्शन के लिए समान पॉलिसी होनी चाहिए. अगर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन हो रहा है तो इसके लिए दिशा-निर्देश की ज़रूरत नहीं है. कुछ लोगों को शाहीन बाग में शांति भंग करने के लिए भेजा गया इस तरह की घटना दोबारा नही होनी चाहिए.
शाहीन बाग प्रदर्शन के वक्त दी गई थी याचिका
सुप्रीम कोर्ट में याचिका बीजेपी नेता नंद किशोर गर्ग और अन्य की ओर से तब दायर की गई थी जब सीएए को लेकर शाहीन बाग में धरना प्रदर्शन चल रहा था. हालांकि शाहीन बाग में धरना प्रदर्शन अब खत्म हो चुका है. याचिकाकर्ता चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट इसके लिए गाइड लाइन बनाए, ताकि सड़क जाम कर लगातार हो रहे धरना प्रदर्शनों से लोगो को राहत मिल सके.