देहरादून (नेटवर्क 10 संवाददाता ): 9 नवंबर 2000 में उत्तराखंड राज्य अस्तित्व में आया. उस समय देहरादून को अस्थायी राजधानी बनाने का निर्णय लिया गया. हालांकि, तभी से गैरसैंण को भी उत्तराखंड की राजधानी बनाने की मांग उठने लगी. तब से इस मुद्दे का राजनीतिकरण हो रहा है. ऐसे में ठीक 19 साल और सात महीने बाद भाजपा सरकार के नेतृत्व में आखिरकार भराड़ीसैंण (गैरसैंण) को राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया गया. वहीं, अब देहरादून को स्थायी राजधानी बनाए जाने को लेकर कवायद तेज हो गई है, जिसके लिए प्रस्तावित रायपुर क्षेत्र पर आत्ममंथन चल रहा है. इसी मुद्दे को लेकर विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने राज्य संपत्ति विभाग की एक बैठक ली.
अब स्थायी राजधानी को लेकर हो रहा आत्ममंथन
उत्तराखंड में सियासत का केन्द्र रहा स्थायी राजधानी का मुद्दा एक बार फिर से गरमाने लगा है. जहां एक तरफ सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बना कर अपने घोषणा-पत्र में किए गए वादे को पूरा कर चुके हैं, तो वहीं, स्थायी राजधानी पर भी अब विचार-विमर्श किया जा रहा है. हालांकि, राज्य गठन से पहले ही देहरादून में सभी व्यवस्थाएं अस्थायी रूप से की गई थीं. तो वहीं, सरकार अब देहरादून को स्थायी राजधानी के लिए बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने के लिए आत्ममंथन कर रही है.
विधानसभा अध्यक्ष की बैठक में क्या रहा खास
उत्तराखंड में इससे पहले कांग्रेस सरकार का परचम लहरा रहा था, तब कांग्रेस सरकार ने देहरादून में स्थायी राजधानी बनाने को लेकर रायपुर में भूमि का चिन्हीकरण का काम शुरू किया. स्थायी राजधानी में सभी महत्वपूर्ण भवन और कार्यालय जैसे कि विधानसभा और सचिवालय भवन भी यहां प्रस्तावित किया गया था. कांग्रेस के शासनकाल में हुई इन घोषणाओं के बाद क्या हुआ ये कोई नहीं जानता. वहीं, अब इसी मुद्दे को लेकर विधानसभा अध्यक्ष प्रेमंचद अग्रवाल ने राज्य सम्पत्ति विभाग के अधिकारियों के साथ एक बैठक की, जिसमें उन्होंने वास्तविक वस्तुस्थिति की जानकारी ली, जिसके कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं.
तो क्या रायपुर में बनेगी स्थायी राजधानी?
विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने बताया कि राज्य सम्पत्ति विभाग के अधिकारियों की ओर से बताया जा रहा है, कि रायपुर क्षेत्र में राजधानी बनाने के लिए 75 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए थे, जिसमें से 7 कोरोड़ रुपए वन भूमि के हैं. ये 7 करोड़ तो वन विभाग को दिए जा चुके हैं. इसके अलावा 60 एकड़ जमीन राजपुर क्षेत्र में स्वीकृत हुई है, जिस पर विधानसभा, सचिवालय सहित अन्य विभागों के भवन का निर्माण करवाए जाने हैं. राज्य सम्पत्ति अधिकारियों का कहना है कि हाथी कॉरिडोर के लिए अभी 15 करोड़ रुपए दिया जाना है, सैद्धांतिक स्वीकृति के बाद इसके आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
क्या कहते हैं विधानसभा अध्यक्ष
विधानसभा अध्यक्ष का कहना है कि स्थाई राजधानी बनाने के लिए जिन पैसों की स्वीकृति मिली है, वो पैसा जिलाधिकारियों के अकाउंट में लबिंत है. ऐसे में अब स्थायी राजधानी बनाने के लिए जमीन का चुनाव करना बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में जल्द ही सीएम से मुलाकात की जाएगी और उचित निर्णय लिये जाएंगे. उनका कहना है कि विधानसभा की कार्रवाई आज जहां से चल रही है, वहां अस्थायी व्यवस्थाएं है, जो सब जानते हैं लेकिन अब इसमें सुधार होना बेहद जरूरी है.