देहरादून (नेटवर्क 10 संवाददाता)। ईमानदार छवि को लेकर जाने जाने वाले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हाल में कुछ बदनाम नौकरशाहों के पर कतरे तो सोशल मीडिया में और सार्वजनिक तौर पर उनकी प्रशंशा होने लगी है। वेब मीडिया भी उनकी तारीफ कर रहा है और मुख्यधारा के मीडिया में भी मुख्यमंत्री के इन कड़े फैसलों की तारीफ हुई है।
नौकरशाही के दायित्वों में हाल में फेरबदल किया गया। इस कड़ी में शीर्ष नौकरशाह ओमप्रकाश के दायित्त्व कम किये गए। उनसे प्रदेश का सबसे बड़ा विभाग PWD छीन लिया गया। आपको बता दें कि इस से पहले भी ओमप्रकाश के पास चिकित्सा शिक्षा और खनन जैसे बड़े महत्वपूर्ण विभाग थे जो पूर्व में ही वापस ले लिए गए थे।
कोरोनाकाल में प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव रहे नौकरशाह नितेश झा जैसे आंख मूंद कर बैठे थे। कोरोनकाल को 2 महीने होने को हैं लेकिन नितेश झा ने कभी आगे आकर आपनी भूमिका नहीँ बताई। नितेश जी कार्यशैली भी लगातार सवालों के घेरे में थी। मुख्यमंत्री ने उनको भी विभाग से किनारे कर दिया।
शुक्रवार को एक और अहम फैसला हुआ। ये फैसला छत्रवृत्ति घोटाले के सूत्रधार कहे जाने वाले गीताराम नौटियाल को लेकर हुआ। दरअसल समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक रहे गीताराम नौटियाल को 2019 में निलंबित किया गया था। दो दिन पहले नौटियाल की बहाली के आदेश जारी हो गए थे। शुक्रवार को ये आदेश अचानक निरस्त कर दिया गया।
उक्त तीन वो बड़े फैसले हैं जिनको मुख्यमंत्री के कड़े आदेश पर लिया गया बताया जा रहा है। आपको बता दें कि हाल ही में यूपी के निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी की बद्रीनाथ यात्रा को लेकर पास जारी किए जाने के मामले में सरकार पर चारों ओर से उंगलियां उठी थी। ये पास अधिकारी ओमप्रकाश के आदेश पर जारी हुआ था। बार बार यही बात उठती रही कि ओमप्रकाश के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
नितेश झा की कार्यशिथिलता की वजह से भी मुख्यमंत्री पर ही सवाल खड़े किए जाते थे। इधर, गीताराम नौटियाल की बहाली के आदेश के बाद फिर सरकार पर सवाल उठने लगे थे।
आखिर मुख्यमंत्री ने कड़े फैसले लेकर जनता के सामने ये मिसाल तो कायम कर ही दी कि वो किसी के दबाव में कभी न थे और समय आने पर वे कड़े फैसले लेने से नहीं चूकते। उक्त तीनों ही फैसलों को मुख्यमंत्री के बड़े फैसलों के तौर पर बताया जा रहा है और उनकी तारीफ की जा रही है।