देहरादून: भवन निर्माण एवं कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद से हरक सिंह रावत को हटाए जाने के बाद अब कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की करीबी दमयंती रावत को भी बोर्ड के सचिव पद से हटा दिया गया है. भवन सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद से हरक सिंह रावत को हटाया गया तो अब उनकी करीबी सचिव दमयंती रावत को भी सचिव पद से हटा दिया गया.खास बात यह है कि एक तरफ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और हरक सिंह रावत की सचिवालय में मुलाकात हुई है, तो दूसरी तरफ हरक सिंह रावत की करीबी रही बोर्ड की सचिव दमयंती रावत को बोर्ड के नए अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल ने हटाने के आदेश जारी कर दिए हैं.
बता दें कि दमयंती रावत को शिक्षा विभाग से प्रतिनियुक्ति पर बोर्ड के सचिव पद पर लाया गया था और बोर्ड के भंग होने का हवाला देते हुए रावत को उनके मूल विभाग में जाने के लिए आदेश में कहा गया है.
जानिए कौन हैं दमयंती रावत
बता दें कि दमयंती रावत मूल रूप से शिक्षा विभाग में खंड शिक्षा अधिकारी हैं. वर्ष 2012 में प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में आई तो हरक सिंह रावत कृषि मंत्री बने. तब दमयंती रावत खंड शिक्षा अधिकारी सहसपुर में तैनात थी. कृषि विभाग में दमयंती रावत के लिए बकायदा विशेष कार्याधिकारी का निसंवर्गीय पद ग्रेड वेतन 8700 स़ृजित किया गया और इस पर प्रतिनियुक्ति के जरिए दमयंती रावत की ताजपेाशी की हुई. वही. तत्कालीन शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने एनओसी देने से मना कर दिया था. लेकिन दमयंती रावत बेरोकटोक प्रतिनियुक्ति पर आ गई. यही नहीं कुछ समय बाद उनका ओहदा बढ़ाकर उन्हें कृषि विभाग में उत्तराखंड बीज एवं जैविक प्रमाणीकरण अभिकरण के निदेशक पद पर तैनात कर दिया गया. जिसके बाद साल 2016 में सत्ता के समीकरण गड़बड़ाए और मंत्री हरक सिंह रावत को अपनी विधायकी से हाथ धोना पड़ा, तो इसका असर दमयंती रावत पर भी पड़ा.
जिसका परिणाम साल 2016 में देखने को मिला. साल 2016 में बीज एवं जैविक प्रमाणीकरण अभिकरण के डायरेक्टर पद से छुट्टी कर उन्हें मूल विभाग को वापस कर दिया गया. लेकिन, दमयंती रावत ने एक साल दो महीने तक वापस अपना मूल विभाग भी ज्वाइन नहीं किया. कृषि विभाग से विदाई के बाद दमयंती रावत ने दस जुलाई 2017 को शिक्षा विभाग में दोबारा वापसी की. फिर सवाल उठा कि एक साल दो महीने वे कहां गायब रही. इसके लिए शिक्षा विभाग ने उनको आरोप पत्र थमा दिया. दमयंत्री रावत ने आरोपों के जवाब में चिकित्सा प्रमाण पत्रों के साथ ही जो स्पष्टीकरण दिया. उस पर आज भी फैसला नहीं हो पाया है. लेकिन, 31 अक्टूबर 2017 को उन्हें खंड शिक्षा अधिकारी, विण, पिथौरागढ़ के पद पर नियुक्ति दे दी गयी.