राहत: वरिष्ठ पत्रकार के खिलाफ जारी आदेश पर कोर्ट ने रोक लगाई  

  • बीजेपी नेता बलजीत ने पत्रकार मनमोहन भट्ट के विरुद्ध किया था मानहानि का मुक़दमा
  • पत्रकार अभिषेक उपाध्याय मामले पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया गया
  • पत्रकार मनमोहन भट्ट को कोर्ट ने दी राहत
  • वरिष्ठ अधिवक्ता चंद्रशेखर तिवारी ने की अदालत में मजबूत पैरवी

देहरादून: उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार मनमोहन भट्ट को देहरादून की अदालत ने राहत प्रदान की है. पत्रकार मनमोहन भट्ट ने बीजेपी के कुछ नेताओं के कारनामों की पोल खोलते हुए एक समाचार अपने प्रतिष्ठित यू ट्यूब चैनल में 5 फ़रवरी 2023 को प्रसारित किया था। इस समाचार के प्रसारित होने के बाद बीजेपी नेता बलजीत सोनी ने मनमोहन भट्ट के विरुद्ध अपराधिक मानहानि का मुकदमा देहरादून की अदालत में दायर किया था। अदालत ने मनमोहन भट्ट के खिलाफ वारंट जारी किये थे. निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने के लिए मनमोहन भट्ट ने देहरादून के विद्वान अधिवक्ता चंद्रशेखर तिवारी के जरिये उच्च अदालत में अपील दायर की थी. जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया और निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी।

UKSSSC पेपर लीक के आरोपी का नाम था समाचार में

मनमोहन भट्ट ने बीजेपी के तीन नेताओं के कारनामों की स्टोरी प्रसारित की थी। इसमें एक नेता का नाम हाकम सिंह था . हाकम सिंह उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन योग की प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक के मामलों में आरोपी था। जिस समय समाचार प्रसारित किया गया था उस समय हाकम सिंह को उत्तराखंड पुलिस गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी थी. अपने समाचार में मनमोहन भट्ट ने हरिद्वार जनपद के बीजेपी के एक तत्कालीन मंडल अध्यक्ष संजय धारीवाल के नाम का भी जिक्र किया था। संजय धारीवाल उस समय फरार चल रहा था। संजय धारीवाल पर लोक सेवा योग द्वारा करवाई जा रही पटवारी भर्ती परीक्षा के अतिरिक्त कई अन्य परीक्षाओं के पेपर लीक कराने का आरोप था। बाद में संजय धारीवाल को भी पुलिस ने गिरफ्तार का जेल भेजा।

बीजेपी नेता बलजीत सोनी का नाम आया था

मनमोहन भट्ट ने बीजेपी के तीसरे नेता के रूप में बलजीत सोनी के नाम का जिक्र किया था। बलजीत सोनी का देहरादून के बिल्डर और कारोबारी सुधीर विंडलास के साथ पैसों के लेन देन का विवाद चल रहा था। इस सम्बन्ध में दोनों के बीच वोट्स अप पर हुई चैट लीक हो गई थी। इस बारे में उत्तराखंड के एक पत्रकार ने सुधीर विंडलास का इंटरव्यू लिया था. इस इंटरव्यू में सुधीर विंडलास ने खुलकर बताया था कि बलजीत सोनी ने उनसे किसी काम को करवाने के लिए 25 लाख रूपए लिए थे. जब बीजेपी नेता बलजीत सोनी 25 लाख रूपए वापस नहीं कर रहा था तो सुधीर विंडलास उन पर अपना पैसा वापस पाने के लिए दबाव बना रहे थे। ये ही बातचीत (चैट ) लीक भी हुई थी. उक्त इंटरव्यू और बातचीत (चैट) को आधार बनाते हुए पत्रकार मनमोहन भट्ट ने अपने यूट्यूब चैनल पर समाचार प्रसारित किया। इसके बाद बीजेपी नेता बलजीत सोनी ने पत्रकार मनमोहन भट्ट पर अपराधिक मानहानि का मुक़दमा ठोक दिया।

फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन के अंतर्गत बनाता है पत्रकार समाचार

मनमोहन भट्ट के अधिवक्ता चंद्रशेखर तिवारी ने अदालत के सामने मजबूत पैरवी की। तिवारी ने कोर्ट के सामने पत्रकारों को मिले संवैधानिक अधिकारों की बात को प्रमुखता से रखा. भारत के संविधान की धारा 19-1 (A) फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन के अंतर्गत पत्रकारों को समाचार प्रसारित करने का अधिकार प्राप्त है। चंद्रशेखर तिवारी ने इस सन्दर्भ में सुप्रीम कोर्ट के 2024 के फैसले का भी उदाहरण प्रस्तुत किया. इसमें उत्तर प्रदेश सरकार ने वरिष्ठ पत्रकार अभिषेक उपाध्याय के खिलाफ एक अपराधिक मुकदमा दर्ज किया था. उत्तर प्रदेश सरकार में एक जाति विशेष के अधिकारियों को महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति दिए जाने विषय पर पत्रकार अभिषेक उपाध्याय ने रिपोर्ट प्रसारित की थी। इस पर उत्तर प्रदेश सरकार ने अभिषेक उपाध्याय पर मुकदमा दर्ज किया था. इसके बाद पत्रकार अभिषेक उपाध्याय सुप्रीम कोर्ट पंहुचे . सुप्रीम कोर्ट ने अभिषेक उपाध्याय को राहत देते हुए आदेश दिया था की कि एक लोकतान्त्रिक देश में दूसरे के विचारों का भी सम्मान होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पत्रकारों को भारत के संविधान की धारा 19-1 (A) के अंतर्गत संवैधानिक अधिकार प्राप्त हैं। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सिर्फ सरकार की आलोचना करने के कारण पत्रकारों पर अपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं किया जाना चाहिए।

देहरादून कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का दिया गया हवाला

देहरादून की कोर्ट में वरिष्ठ वकील चंद्रशेखर तिवारी ने पत्रकार अभिषेक उपाध्याय के मामले में सुप्रीम कोर्ट के ताज़ा आदेश का ही हवाला दिया। चंद्रशेखर तिवारी ने तर्क दिया है की पत्रकार मनमोहन भट्ट द्वारा प्रसारित समाचार भारतीय दंड संहिता की धारा 499 के अपवाद (Exception) 9 & 10 में Good Faith की श्रेणी में आता है। इस का देहरादून की कोर्ट ने संज्ञान लिया और निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाकर पत्रकार मनमोहन भट्ट को राहत प्रदान की।

 

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