दिल्ली के सबसे बड़े अस्पताल में कोरोना के मरीज कम और डॉक्टर ज्यादा

नई दिल्ली । राजधानी में कोरोना संक्रमण के मामलों में लगातार सुधार आ रहा है। इसकी वजह से अब अस्पतालों में मरीज और डॉक्टरों का अनुपात भी बेहतर हो गया है। बेड क्षमता के मामले में लोकनायक के बाद राजधानी का दूसरा सबसे बड़ा अस्पताल जीटीबी है। डेढ़ हजार बेड की क्षमता वाले इस अस्पताल में अभी कोरोना के सिर्फ 68 मरीज रह गए हैं।

वहीं, 1432 बेड खाली हैं। जबकि कोविड मामलों को देखने के लिए यहां 106 डॉक्टर फिलहाल तैनात हैं, जो अलग-अलग पाली में ड्यूटी दे रहे हैं। इस बीच चर्चा यह भी है कि जल्द ही जीटीबी अस्पताल को नॉन कोविड अस्पताल घोषित कर दिया जाएगा। हालांकि जीटीबी अस्पताल के निदेशक डॉ. आरएस रौतेला का कहना है कि उन्हें इस संबंध में सरकार से किसी तरह का दिशानिर्देश नहीं मिला है।

दूसरे अस्पतालों में भी यही हाल 

अस्पताल के सूत्रों की मानें तो यहां लगातार कोरोना के मरीजों की संख्या कम हो रही है। राजधानी के दूसरे अस्पतालों में भी यही हाल है। दूसरी बीमारियों से पीड़ित मरीजों के लिए यमुनापार में जीटीबी अस्पताल सबसे बेहतर विकल्प है। ऐसे में सरकार अगस्त के पहले हफ्ते में इस अस्पताल के दरवाजे दूसरे बीमारियों से पीड़ित मरीजों के लिए खोल सकती है।

अन्य बीमारियों से पीड़ित मरीजों का जल्द किया जा सकता है इलाज

यहां भर्ती कोविड-19 मरीजों को पास के राजीव गांधी सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल में भेजा जाएगा। राजीव गांधी अस्पताल की 500 बेड की क्षमता है। यहां फिलहाल 79 मरीज भर्ती हैं। यहां भी करीब सौ डॉक्टर कोरोना मामलों को देख रहे हैं। ऐसे में जीटीबी अस्पताल में भर्ती मरीजों को यहां समायोजित करने में कोई दिक्कत नहीं होगी। वहीं जीटीबी अस्पताल के कोरोना मुक्त होते ही 1500 बेड की सुविधा अन्य बीमारियों से पीड़ित मरीजों को मिल जाएगी।

कोरोना के संक्रमण काल से पहले जीटीबी अस्पताल में प्रतिदिन सात से आठ हजार मरीज ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचते थे। अभी ये मरीज स्वामी दयानंद अस्पताल, डॉ. हेडगेवार और लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल पर निर्भर हैं जहां प्राथमिक उपचार ही संभव हैं। इनमें सबसे ज्यादा बोझ स्वामी दयानंद अस्पताल पर पड़ा है। जीटीबी अस्पताल के नॉन-कोविड घोषित होने से इन अस्पतालों को भी भीड़ से राहत मिलेगी।

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