देहरादून (नेटवर्क 10 संवाददाता)। डाटकाली से मोहंड तक एलिवेटेड रोड का निर्माण प्रस्तावित है। इसके लिए 11 हजार पेड़ों को काटने के लिए चिह्नित किया गया है। इन पेड़ों को बचाने के लिए अब विभिन्न संस्थाएं और संगठन एकजुट हो गए हैं। गांधी जयंती पर इन संगठनों ने ‘चलो मोहंड’ कार्यक्रम का आयोजन किया। संगठनों ने डाटकाली में हाथों में तख्तियां लेकर और पेड़ों पर चिपक कर पेड़ों के काटे जाने का विरोध किया। वक्ताओं ने कहा कि वनों के बिना पृथ्वी पर जीवन अकल्पनीय है।वन न केवल हमारी भूमि के लिए फेफडे़ का काम करते हैं, बल्कि भूमि की रक्षा एवं पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार के जीवन के सृजन में भी सहायक होते हैं, लेकिन हम लगातार विकास के लिए वनों का विनाश कर रहे हैं। कहा कि बादल फटने की घटना, बाढ़, कोरोना जैसी बीमारी प्रकृति से खिलवाड़ का ही नतीजा है।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अगर इसी तरह से वनों का विनाश होता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी लोगों के रहने के लायक नहीं बचेगी। कहा कि दिल्ली-देहरादून मार्ग पर मात्र 11 मिनट बचाने के लिए 11 हजार पेड़ों की बलि दी जा रही है। जबकि, यही पेड़-पक्षी पर्यटकों के लिए रोमांच का केंद्र हैं। सरकार के इस विनाशकारी कदम का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। एक तरफ तो सरकार वन्यजीवों के संरक्षण पर जोर दे रही है, वहीं राजाजी टाइगर रिजर्व के हजारों पेड़ों को काटकर वन्यजीवों का आशियाना उजाड़ना चाह रही है। लेकिन सरकार की इस मंशा को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। प्रदर्शन में अगास, बीन देयर दून देड, सिटिजन फॉर दून, डीएनए, डू नो ट्रैश, अर्थ एंड क्लाइमेट इनिशिएटिव, द ईको ग्रुप देहरादून, द फ्रेंड ऑफ दून सोसायटी, फ्राइडे फॉर फ्यूचर, आइडियल फाउंडेशन, खुशी की उड़ान चैरिटेबल ट्रस्ट, तितली ट्रस्ट आदि संस्थाओं और संगठनों के सदस्यों ने भाग लिया।