देहरादून: शुक्रवार को हुई उत्तराखंड कैबिनेट की महत्वपूर्ण बैठक में भारत-चीन सीमा से जुड़े इलाकों को लेकर महत्वपूर्ण फैसला लिया गया है. सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में केदारनाथ में चिनूक हेलीकॉप्टर उतारने और सीमांत क्षेत्रों को मोबाइल कनेक्टिविटी से मजबूती के साथ जोड़ने का फैसला लिया गया है.
पिछले लंबे समय से केदारनाथ हेलीपैड के विस्तारीकरण को लेकर उठ रही मांग को कैबिनेट ने हरी झंडी दे दी है. जिसके बाद केदारनाथ में चिनूक जैसे बहुउद्देश्यीय हेलीकॉप्टर भी उतर सकेंगे. केदारनाथ में हेलीपैड के विस्तारीकरण के बाद पुनर्निर्माण कार्यों में तेजी और बॉर्डर एरिया में जरूरत के सामान, हैवी उपकरण पहुंचाने में आसानी होगी.
केदारनाथ धाम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत पुनर्निर्माण कार्य चल रहे हैं, जो कि अब अंतिम चरण में हैं. वर्ष 2014 की आपदा के बाद रूस निर्मित MI26 हेलीकॉप्टर के जरिए भारी मशीनों को केदारनाथ पहुंचाया गया था. जिसकी वजह से केदारनाथ में पुनर्निर्माण का काम संभव हो पाया. केदारनाथ पुनर्निमाण योजना की समीक्षा के दौरान पीएम मोदी ने कुछ उपकरणों को रिप्लेस करने का निर्देश दिया था. जिसके बाद वायु सेना के अत्याधुनिक चिनूक हेलीकॉप्टर से केदारनाथ भारी मशीनें पहुंचाने का निर्णय लिया गया है.
दोगुना बड़ा होगा हेलीपैड
मौजूदा समय में केदारनाथ में 40×50 मीटर आकार का हेलीपैड मौजूद है. जिसे चिनूक हेलीकॉप्टर लैंडिंग के लिए 100×50 मीटर आकार का किया जाना है. इसके लिए प्रस्तावित हेलीपैड क्षेत्र के आसपास के कई अस्थायी और स्थायी निर्माण को गिराया जाना है.
सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण
केदारनाथ हेलीपैड के विस्तारीकरण के बाद सीमा क्षेत्रों में सैन्य उपकरणों को तेजी से पहुंचाया जा सकेगा. इसके साथ ही बॉर्डर एरिया के आसपास कनेक्टिविटी को भी मजबूती मिलेगी.
सीमांत गांव में मोबाइल कनेक्टिविटी
शुक्रवार को हुई कैबिनेट बैठक में उत्तराखंड में भारत-चीन सीमा से लगे इलाकों में मोबाइल टावर लगाने के लिए निजी कंपनियों को प्रोत्साहन देने और उनके घाटे को कम करने के लिए राज्य सरकार द्वारा 40 लाख रूपए एकमुश्त राशि दी जाएगी. जिसकी वजह से सीमांत क्षेत्रों से मोबाइल कनेक्टिविटी मजबूत हो पाएगी.
CH-47F चिनूक से जुड़ी खास बातें
चिनूक बहुउद्देश्यीय हेलीकॉप्टर है जिनका उपयोग दुर्गम और ज्यादा ऊंचाई वाले स्थानों पर जवानों, हथियारों, मशीनों तथा अन्य प्रकार की रक्षा सामग्री को ले जाने में किया जाएगा. यह विशाल हेलीकॉप्टर 11 टन तक कार्गो ले जा सकता है. इसमें भारी मशीनरी, आर्टिलरी बंदूकें और हाई अल्टीट्यूड वाले लाइट आर्मर्ड गाड़ियां शामिल हैं. पहाड़ी क्षेत्रों में ऑपरेशन के लिए इन्हें इस्तेमाल किया जा सकता है.
चिनूक का निर्माण बोइंग कंपनी करती है. ये हेलीकॉप्टर 1962 से प्रचलन में हैं. लेकिन बोइंग ने समय-समय पर इनमें सुधार किया है, इसलिए आज भी करीब 25 देशों की सेनाएं इनका इस्तेमाल करती हैं. खुद अमेरिका इनका महत्वपूर्ण ऑपरेशनों में इस्तेमाल करता है.
चिनूक हेलीकॉप्टर की खासियत
- यह रात में भी उड़ान भरने और ऑपरेशन करने में सक्षम होते हैं.
- किसी भी मौसम में उपयोग किया जा सकता है.
- सभी प्रकार के परिवहन में इस्तेमाल किया जा सकता है.
- असैन्य कार्यों जैसे आपदा प्रबंधन और आग बुझाने में भी इस्तेमाल संभव.
- इनमें विमान की भांति एकीकृत डिजिटल कॉकपिट मैनेजमेंट सिस्टम है.
- इस हेलीकॉप्टर को अमेरिकी कंपनी बोइंग ने तैयार किया है.
- 11 टन पेलोड और 45 सैनिकों का भार वहन करने की अधिकतम क्षमता.