चीन (China) अपनी सीमा में ब्रह्मपुत्र (Brahmaputra) और इसकी सहयोगी नदियों के पास ‘वाटर बम’ (Water Bomb) बना रहा है. यह एक प्रकार की कृतिम झील या डैम है. चीन इस झील का निर्माण Yiong Tsangpo नदी पर तिब्बत में कर रहा है. इसी नदी को अरुणाचल प्रदेश में सियांग और असम में ब्रह्मपुत्र के नाम से जाना जाता है. इसे ‘वाटर बम’ इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि चीन इस झील का पानी छोड़कर अरुणाचल प्रदेश को नुकसान पहुंचा सकता है. साथ ही चीन इसके जरिए असम ब्रह्मपुत्र वैली में कभी प्रलय ला सकता है. यानी कि इस झील के पानी को छोड़ना एक प्रकार से वाटर बम का इस्तेमाल करने जैसा होगा.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, चीन कभी भी इस ‘वाटर बम’ को छोड़कर भारतीय सेना को उलझाने की कोशिश कर सीमा पर हिमाकत कर सकता है. दरअसल, चीन की चाल यह है कि जल प्रलय के सहारे भारत को बाढ़ से निपटने के लिए व्यस्त कर दे और मौके का फायदा उठाते हुए सीमा पर अतिक्रमण कर ले.
शिआंग वैली की जद में आनेवाले इलाकों में अलर्ट
इस कृतिम झील के खतरे को देखते हुए अरुणाचल परेश की प्रेमा खांडू सरकार ने केंद्र से बात की है और शिआंग वैली की जद में आनेवाले इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया. फिलहाल इन इलाकों को खाली करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.
ब्रह्मपुत्र को ही अरुणाचल प्रदेश में सिआंग नदी के नाम से जाना जाता है. अरुणाचल में कुल 43 छोटी बड़ी नदियां हैं जिनमें से मुख्य 10 नदियां विशाल ब्रह्मपुत्र से जुड़ी हुई हैं. इन दस नदियों में त्वांग, मानस, कामेंग, दिकरोंग, सुबनसिरी, सिआंग, दिबांग, लोहित, दिहिंग, तिरप और तीसा शामिल हैं.