- उद्यान के क्षेत्र में प्रदेश में अधिक संभावनाएं।
- बागवानी उत्पादन को बढ़ाने पर फोकस।
- फल उत्पादन में उत्तराखंड पीछे, मसालों में सबसे आगे।
मुख्य सचिव डॉ. एसएस सन्धु ने शुक्रवार को सचिवालय में उद्यान विभाग की समीक्षा की। मुख्य सचिव ने कहा कि उद्यान के क्षेत्र में प्रदेश में बहुत अधिक सम्भावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि बागवानी उत्पादों का उत्पादन के साथ ही मार्केट बढ़ाए जाने पर फोकस किया जाए। साथ ही ऐसे उत्पादों पर भी फोकस किया जाए, जिनकी मार्केट पहले से ही अच्छी है परन्तु उत्पादन कम है।
मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि एन्टरप्रिन्योर को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें सम्मानित किया जा सकता है। ताकि अन्य लोग प्रोत्साहित होकर इस क्षेत्र में रूचि दिखाएं। साथ ही उन्हें मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करा कर सहयोग दिया जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में माल्टा का बहुत अधिक उत्पादन होता है, जो अधिक उत्पादन के कारण अंत में फेंकना पड़ता है। उन्होंने माल्टा की खेती को भी बढ़ावा दिए जाने के लिए प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर पीपीपी मोड में संचालन किए जाने के भी निर्देश दिए। इससे स्थानीय लोगों के उत्पाद बर्बाद नहीं होंगे और इससे उनकी कमाई भी बढ़ेगी।
मुख्य सचिव ने किसानों को प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना (पीएमएफएमई) के तहत वित्तीय, तकनीकी और कारोबारी सहायता उपलब्ध कराने हेतु विशेष प्रयास किए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पीएमएफएमई योजना के अन्तर्गत एक जनपद एक उत्पाद योजना की साप्ताहिक समीक्षा कर बढ़ावा दिया जाए। इसके साथ ही ऐसे उत्पादों को जो जिनमें अच्छी सम्भावनाएं हैं, परन्तु ओडीओपी में किसी कारणवश कवर नहीं हो पा रही हैं, इसके लिए राज्य स्तरीय योजना तैयार की जाए।
मुख्य सचिव ने प्रदेश में वॉलनट (अखरोट) की खेती में सुधार लाने के लिए उसकी वैरायटी में सुधार लाने की बात कही। कहा कि प्रदेश में बेस्ट वैरायटी उत्पादित की जाए ताकि अखरोट प्रदेश के अखरोट की डिमांड बढ़े। इसके साथ ही मधुग्राम योजना और कीवी की खेती को पूरे प्रदेश में बढ़ावा दिया जाए।
उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण निदेशक डा एचएस बवेजा ने विभागीय गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए प्रदेश में औद्यानिकी का वर्तमान परिदृश्य एवं भावी रणनीति की विस्तारपूर्वक प्रस्तुतिकरण किया। अपने प्रस्तुतिकरण में उन्होंने बताया कि वर्तमान में उत्तराखंड में फलों में उत्पादकता मात्र 3.74 मैट्रीक टन प्रति हैक्टेयर है, जो कि पर्वतीय राज्य हिमाचल प्रदेश से अधिक किन्तु जम्मू-कश्मीर से कम है। इसी प्रकार सब्जियों के अन्तर्गत उत्तराखंड की उत्पादकता 10.25 मैट्रीक टन प्रति हैक्टर है। उत्तराखंड में मसालों की उत्पादकता 6.40 मैट्रीक टन प्रति हैक्टेयर है। जो कि देश में प्रथम स्थान पर है। इस अवसर पर सचिव आर. मीनाक्षी सुन्दरम सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।