बागेश्वरः हरिद्वार से चली छड़ी यात्रा बाबा बागनाथ की नगरी पहुंचने पर साधु-संतों ने भव्य स्वागत किया। ढोल-नगाड़ों की थाप पर जूना अखाड़ा लाया गया और संतों ने भक्तों को आर्शीवाद दिया। धार्मिक पर्यटन के प्रचार-प्रसार व उत्तराखंड के प्रमुख धार्मिक स्थलों की जानकारी जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से 20 अक्टूबर से हरिद्वार मायादेवी मंदिर से यह यात्रा शुरू हुई थी। जोकि बागेश्वर पहुंची.
01 छड़ी यात्रा की अगुआई कर रहे जूना अखाड़ा के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेमगिरी महाराज ने कहा जन-जन तक धर्म की पताका को पहुंचाने व धार्मिक स्थलों की जानकारी देने के साथ प्राचीन मठ व धर्मशालाओं की वस्तुस्थिति देखने के लिए संत समाज यात्रा पर है। आदि जगत गुरु शंकराचार्य पांच साल की उम्र में छड़ी लेकर धर्म की रक्षा के लिए निकले थे। तब से यह परंपरा चल रही है। धर्म परिवर्तन कर रहे लोगों को भी इस यात्रा के माध्यम से जागरूक किया जाएगा। हरिद्वार से छड़ी यात्रा कौसानी व बैजनाथ धाम से होते हुए बागनाथ धाम पहुंची। जूना अखाड़ा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मुख्य संयोजक प्रेम गिरी महाराज ने बताया कि हरिद्वार से यात्रा शुरू हुई। बागेश्वर के बाद वे जागेश्वर, गेठिया, नैनीताल, पाताल भुवनेश्वर आदि स्थानों पर भी जाएगी.
20 अक्टूबर को हरिद्वार के मायादेवी मंदिर से शुरू हुई पवित्र छड़ी यात्रा चारो धामों और विभिन्न मंदिर मठो से होते हुए बागेश्वर पहुंचने पर यहां जूना अखाड़ा के महंत शंकर गिरी महाराज ने सभी का स्वागत किया। साधु—संतों ने सरयू में स्नान के बाद पवित्र छड़ी पूजन किया। छड़ी यात्रा में शामिल सभी साधु—संतों ने बागनाथ धाम के साथ ही अन्य मंदिरों में पूजा, अर्चना की। सरयू पूजन के बाद बागनाथ मंदिर समूह में मौजूद मंदिरों की पूजा, अर्चना के बाद छड़ी यात्रा एक महीने तक कुमाऊं और गढ़वाल के प्रमुख मंदिरों से होकर हरिद्वार लौटेगी.