नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने आपराधिक मामलों में दोषी ठहराए गए नेताओं को आजीवन चुनाव लड़ने के अयोग्य बनाने के लिए दायर संशोधित जनहित याचिका का उच्चतम न्यायालय में विरोध किया है. केंद्र ने तर्क दिया है कि निर्वाचित प्रतिनिधि कानून से समान रूप से बंधे हैं.
कानून मंत्रालय ने न्यायालय में दायर हलफनामे में कहा है कि जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 के प्रावधानों को चुनौती देने के लिए जनहित याचिका में संशोधन के आवेदन में कोई गुण नहीं है. केंद्र ने अपने जवाब में कहा कि पब्लिक इंटरेस्ट फाउंडेशन बनाम केंद्र मामले में शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में इस विषय पर विचार करके अपनी व्यवस्था दी और वैसे भी एक निर्वाचित प्रतिनिधि की अयोग्यता के बारे में कानून में विस्तार से प्रावधान है.