उत्तराखंड के दो मंत्रियों ने आखिर क्यों तोड़े कोरोना काल के नियम ? अब बन गए सबके लिए खतरा…

देहरादून (कैलाश जोशी अकेला)। सरकार ढाई महीने से चिल्ला रही है कि अगर कोरोना से बचना है तो बनाए गए नियमों के हिसाब से चलो और शारीरिक दूरी का पालन करो। लेकिन यहां सवाल ये उठता है कि क्या ये नियम सिर्फ आम आदमी के लिए हैं, मंत्रियों और नेताओं के लिए नहीं? क्या मंत्री कोरोना प्रूफ हैं। क्या उनको कोरोना संक्रमण नहीं हो सकता या वे किसी दूसरे को संक्रमण नहीं फैला सकते? जब ऐसा नहीं है तो नियमों का पालन मंत्री क्यों नहीं कर रहे हैं। और तो और स्वास्थ्य और सुरक्षा महकमा उनके खिलाफ नियम तोड़ने का मुकदमा दर्ज क्यों नहीं कर रहा है।

उत्तराखंड के दोनों मंत्रियों के साथ ऐसा ही हुआ है। पहले हैं कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक। महाशय एक कार्यक्रम में शामिल होते हैं। जबकि साफ साफ कहा गया है कि कहीं भी भीड़ इकट्ठी न की जाए लेकिन मंत्री जी ने हाल ही में एक भीड़ वाले कार्यक्रम में शिरकत की। यहां लोगों को सम्मानित किया। बाद में पता चला कि सम्मान पाने वाला एक व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव निकला है। नियम के हिसाब से समारोह में शामिल होने वाले सभी लोगों को क्वारंटाइन किया जाना चाहिए था। खुद मंत्री को भी क्वारंटाइन किया जाना चाहिए थे। पहले मंत्री ने क्वारंटाइन होने के लिए हामी भरी लेकिन बाद में साहब मुकर गए। बताया गया कि मंत्री जी का कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति से सीधा संपर्क नहीं हुआ।

अब बात सतपाल महाराज की। सतपाल महाराज की पत्नी और परिवार के अन्य सदस्य दिल्ली से लौटे तो महाराज के घर पर नाम के लिए होम क्वारंटाइन का नोटिस चस्पा कर दिया गया। मंत्री जी पीछे वाले गेट से आने जाने लगे। अरे भई, ये कैसा होम क्वारंटाइन। जब पूछा जाता है तो जवाब मिलता है कि मंत्री जी जिस गेट से निकल रहे हैं वो इलाका क्वारंटाइन नहीं किया गया है। बाद में मंत्री जी, उनकी पत्नी और तमाम परिवारवाले कोरोना पॉजिटिव निकल जाते हैं। अब ये तमाम लोग यहां तक कि मंत्री जी और उनकी पत्नी किस किस के संपर्क में आए, अब तक इसका पता नहीं लगाया गया है। मंत्री की ट्रैवल हिस्ट्री देखकर उन तमाम लोगों को क्वारंटाइन किया जाना चाहिए जो इनके संपर्क में आए थे। आखिर उन लोगों को भी तो खतरा है।

इधर पूरी सरकार को क्वारंटाइन किए जाने की बात हो रही है। मंत्री एवं शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया था कि मुख्यमंत्री समेत वे तमाम मंत्री होम क्वारंटाइन हो गए हैं जिन्होंने हाल ही में उस कैबिनेट बैठक में हिस्सा लिया था जिसमें सतपाल महाराज शरीक हुए थे। लेकिन उनके बयान के बाद सचिव अमित नेगी का स्पष्टीकरण आता है कि किसी भी मंत्री को क्वारंटाइन होने की जरूरत नहीं है क्योंकि वे हाई रिस्क में नहीं थे.

भई, यहां तो बात हुई मंत्रियों की। अब उन अधिकारियों की बात कर ली जाए जो कैबिनेट बैठक में शामिल हुए थे। क्या उनको क्वारंटाइन नहीं किया जाना चाहिए। और इन अधिकारियों के संपर्क में जो जो कर्मचारी या अधिकारी आए, अब उनका क्या होगा।

सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि क्या इन दोनों मंत्रियों के खिलाफ नियम तोड़ने और दूसरों के लिए खतरा पैदा करने को लेकर मुकदमा दर्ज नही किया जाना चाहिए।

 

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