बीजेपी विधायक बने ‘चमार साहब’, एक साल पहले का विवाद है वजह

(नेटवर्क 10 संवाददाता ) : कहते हैं कि राजनीति में सबकुछ संभव है. कब कौन सा विवाद राजनीति को नए आयाम पर ला दे, कोई नहीं कह सकता. कुछ ऐसा ही हुआ है उत्तराखंड की राजनीति में. हरिद्वार जिले की झबरेड़ा विधानसभा से निर्वाचित बीजेपी विधायक देशराज कर्णवाल ने खुद को ‘चमार साहब’ घोषित कर दिया है. इसकी कहानी शुरू होती है एक साल पहले, जब खानपुर से बीजेपी विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन ने देशराज को जातिसूचक शब्द कहकर अपमानित किया था. लेकिन देशराज ने ऐसा कर दिखाया जो शायद ही भारतीय राजनीति में किसी दलित नेता ने किया हो.

देशराज कर्णवाल, जो कि चौथी विधानसभा में प्रथम बार चुन कर आए हैं और आते ही अपने आप को दलितों का मसीहा बनने की फिराक में हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने विधानसभा सदन के अंदर मांग रखी कि विधानसभा परिसर में भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा लगायी जाए और सदन ने इसे स्वीकार भी कर लिया. इस बार उन्होंने ऐसा कर दिखाया है जो शायद ही भारतीय इतिहास के किसी दलित नेता ने किया हो.

उन्होंने अपने नाम के साथ ‘चमार साहब’ शब्द जोड़ा हैबीजेपी विधायक देशराज कर्णवाल पिछले एक साल से अपने नाम के साथ ‘चमार’ शब्द जोड़ने की दरख्वास्त विधानसभा से लेकर सचिवालय तक में कई पत्रों के माध्यम से कर चुके हैं. लेकिन उन्हें अभी तक इसकी मंजूरी नहीं मिल पाई. आखिरकार देशराज कर्णवाल ने केंद्र से नोटिफिकेशन जारी कर अपने नाम के साथ ‘चमार साहब’ जोड़ने का आदेश जारी करवा दिया.

कहां से आया चमार शब्द जोड़ने का विचार

बीजेपी विधायक देशराज कर्णवाल का खुद को ‘चमार साहब’ घोषित करने की कहानी एक साल पुरानी है. 2019 में उनका विवाद बीजेपी विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन के साथ खुब चला. उस दौरान कई बार दोनों ओर से अपशब्दों का तीखा वार चला. देशराज ने कई दफे कुंवर चैंपियन पर खुद को जातिसूचक शब्द कहकर अपमानित करने का मामला उठाया. उसका परिणाम ये हुआ कि पार्टी हाईकमान ने बड़बोले चैंपियन को पार्टी की सदस्यता से छह साल के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया. लेकिन देशराज तब भी बैचेन थे.

देशराज हर मंच पर ये कहते रहे कि वे तब तक चुप नहीं बैठेंगे, जब तक वो दलित समाज को उसका उचित सम्मान नहीं दिला देते. उन्होंने विधानसभा में एक प्रस्ताव भी रखा कि उन्हें अपने नाम के साथ ‘चमार’ शब्द का उपनाम लगाने की इजाजत दी जाए. लेकिन उस वक्त विधानसभा ने सर्वोच्च न्यायालय का हवाला देकर उनके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया.

देशराज ने हार नहीं मानी और संसद सचिवालय को पत्र लिखकर यही अनुमति दोबारा मांगी. अंततोगत्वा संसद सचिवालय ने उन्हें अपने नाम के अंत में ‘चमार साहब’ जोड़ने की अनुमति दे दी.

सोमवार को मीडिया से बात करते हुए झबरेड़ा विधायक देशराज ने कहा कि मेरा यह प्रयास देश की संसद से लेकर सभी राज्यों की विधानसभाओं में पहला प्रयास है. आज से उनका संशोधित नाम भारत के राजपत्र के अनुसार उत्तराखंड विधानसभा में भी संसोधित हो गया है.

 

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