शिवसेना का मुखपत्र सामना में बीजेपी के नेपाल को चीन से सावधान रहने की सलाह पर आड़े हाथों लिया गया है. संपादकीय में लिखा गया है कि बीजेपी के सांसद न किसान आंदोलन पर बोल रहे हैं और न चीन की घुसपैठ पर, मगर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ नेपाल को नसीहत दे रहे हैं. उसका कहना है कि सावधान रहने की भारत को जरूरत है क्योंकि नेपाल हाथ से निकल चुका है. संपादकीय में चीनी घुसपैठ को बाहर खदेड़ने की रणनीति पर भी सवाल पूछा गया है.
शिवसेना के मुखपत्र सामना में बीजेपी पर करारा हमला
भारत के नेपाल में हस्तक्षेप को दूसरे देश के आंतरिक मामलों में दखलअंदाजी बताया गया. सामना में कहा गया कि नेपाल को मुफ्त की सलाह देने का क्या फायदा? भारत के बजाए नेपाल चीन से ज्यादा करीब हो चुका है. चीन ने नेपाल की संस्कृति को बदलने का प्रयास शुरू कर दिया है. चीनी भाषा सिखानेवाले 25 हजार शिक्षक नेपाल के हर गांव में पहुंच चुके हैं. उसने नेपाल के लोगों को कर्ज के बोझ तले दबा दिया है. चीन लगातार अपनी सैन्य और आर्थिक ताकत बढ़ाने का प्रयास कर रहा है. चीनी सरकार हिमालयी क्षत्रों में अरबों रुपए की परियोजना शुरू करने में जुटी है. श्रीलंका में भी चीन की सरकार ने भारी निवेश किया है. इसके अलावा पाकिस्तान, मालद्वीप और नेपाल जैसे देश चीन की पकड़ में हैं.
नेपाल, चीनी घुसपैठ और सैन्य बलों के लिए ‘ड्रेस कोड’ पर घेरा
लद्दाख में चीनी सेना भीतर तक घुस आई है. लद्दाख मामला नहीं हुआ होता तो चीन से अरबों रुपए हमारे देश में आए होते और मोदी सरकार उसका गुणगान करते नहीं थकती. चीन प्रमुख के भारत दौरे के वक्त भी सामना में उससे सावधान रहने संदेश दिया गया था और हमारी मेहमाननवाजी के बावजूद डोकलाम से लेकर लद्दाख तक चीन ने धोखा ही दिया है. अरुणाचल में घुसपैठ जारी है और लद्दाख में घुसकर चीनी सेना ने हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया है. इसलिए चीन से सावधान किसे रहना चाहिए? भारत के तीनों सैन्य अंगों के लिए अमेरिका की तर्ज पर ‘ड्रेस कोड’ की मांग उठाए जाने पर भी पत्रिका में निशाना साधा गया है.