नई दिल्ली। भारत में सर्दियों का मौसम आते ही शहद की खपत बढ़ जाती है, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-बैक्टीरियल गुण से भरपूर शहद का कोरोना के दौर में इम्यूनिटी मजबूत करने के लिए जमकर सेवन किया जा रहा है। ऐसे में सेंटर फार साइंस एंड एनवॉयरामेंट (CSE) के खाद्य शोधार्तियों ने मार्केट में धड़ल्ले से बिक रहे ब्रांडेड कंपनियों के मिलावटी शहद को लेकर चौंका देने वाले खुलासे किए हैं।
सीएसई की महानिदेशक सुनिता नारायण ने खुलासा करते हुए बताया कि मार्केट में उपलब्ध शहद के सभी ब्रांडों में बड़े स्तर पर शुगर सिरप की मिलावट की जा रही है।
शहद में धड़ल्ले से हो रही मिलावट को लेकर सुनीता नारायण का कहना है कि शहद में शुगर सिरप की मिलावट खाद्य धोखाधड़ी है। उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां लोग कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं, ऐसे मुश्किल वक्त में शुगर का जरूरत से अधिक सेवन हालात को और विकट बना देगा। उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां लोग कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं, ऐसे मुश्किल वक्त में शुगर का जरूरत से अधिक सेवन हालात को और विकट बना देगा।
सेंटर फार साइंस एंड एनवॉयरामेंट की रिपोर्ट ने इस धोखाधड़ी से पर्दा उठाते हुए सभी ब्रांडेड शहद में भारी मात्रा में मिलावट की जानकारी दी है। जांच में पाया गया कि 77 फीसदी नमूनों में शुगर सिरप की मिलावट पाई गई है अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी (NMR) परीक्षण में 13 ब्रांड में सिर्फ 3 ब्रांड ही मानकों पर खरे उसरे हैं।
दरअसल, चीन की कंपनियां ऐसे शुगर सिरप तैयार कर रही हैं जो भारतीय जांच मानकों पर बिना किसी दिक्कत के आसानी से खरे उतरते हैं। ऐसे में सीएसई की महानिदेशक का कहना है कि शहद के शुद्धता की जांच के लिए तय भारतीय मानकों के जरिए मिलावट को पकड़ना बहुत मुश्किल है या यूं कहें कि इसे पकड़ ही नहीं जा सकता है।
दरअसल, सेंटर फार साइंस एंड एनवॉयरामेंट ने कुल 22 नमूनों में की जांच की जिसमें से केवल पांच ही परीक्षण में पास हुए। जिन कंपनियों के शहद जांच में फेल हुए हैं उनमे शामिल हैं डॉबर, पतंजलि, बैद्यनाथ, झंडु, हितकारी और एपिस हिमालय जैसे शहद के बड़े और नामी ब्रांड एनएमआर टेस्ट में फेल पाए गए। इसके अलावा 13 ब्रांड्स में से सफोला, मार्कफेड सोहना और नेचर्स नेक्टर, सभी परीक्षणों में पास पाए गए। बता दें कि भारत से निर्यात किए जाने वाले शहद का एनएमआर परीक्षण 1 अगस्त, 2020 से अनिवार्य कर दिया गया है। इस टेस्ट से पता चलता है कि जो यह बताता है कि भारत सरकार इस मिलावटी व्यापार के बारे में जानती थी, इसलिए उसे अधिक आधुनिक परीक्षणों की आवश्यकता पड़ी।