महाराज जी सुनो, 14 गांवों की महिलाओं ने किया सड़क पर महापंचायत का ऐलान

बैजरो (पौड़ी गढ़वाल)। बीरोंखाल ब्लॉक के तहत बैजरो-बयेड़ा सड़क मार्ग को पक्का करने की मांग इस सड़क से जुड़े 14 गांवों की महिलाएं सड़क पर उतरकर कर रही हैं। इस बाबत जब सोशल मीडिया और न्यूज चैनलों पर खबर चली तो इलाके के विधायक और कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने भरोसा दिलाया कि सड़क के डामरीकरण का प्रस्ताव भेज दिया गया है और जल्दी ही इसका डामरीकरण शुरू हो जाएगा।

लेकिन अब जब आदेश हुआ है तो उसमें सिर्फ 3 किलोमीटर सड़क के डामरीकरण का जिक्र किया गया है। जबकि बैजरो बयेड़ा सड़क 15 किलोमीटर लंबी है। तो क्या 15 किलोमीटर लंबी सड़क में सिर्फ 3 किलोमीटर के डामरीकरण का आदेश बहकावा या छल नहीं है तो क्या है? यही सवाल उठा रहे हैं इस इलाके के लोग।

पिछले दिनों यहां सड़क पर उतरकर गांवों की महिलाओं ने अपने बच्चों के साथ प्रदर्शन किया था। इन महिलाओं ने नारा दिया था कि सड़क पक्की नहीं तो वोट नहीं। इनका कहना था कि अगर सड़क को पक्का नहीं किया गया तो ये चुनाव में सतपाल महाराज का बहिष्कार करेंगी। इनकी मांग पर सतपाल महाराज ने आश्वासन तो सड़क के डामरीकरण का दिया लेकिन आखिर में आदेश सिर्फ 3 किमी तक के डामरीकरण का ही हुआ।

अब इन महिलाओं और इलाके के लोगों का कहना है कि वे बड़े आंदोलन के लिए विवश होंगे। अगर जल्दी ही पूरी सड़क के डामरीकरण का आदेश नहीं दिया गया तो यहां के पूरे 14 गांवों के लोग सड़क पर महापंचायत करेंगे और महाराज का बहिष्कार करेंगे। इसके बाद इलाके की सैकड़ों महिलाएं अपने बच्चों के साथ राजधानी देहरादून के लिए पैदल प्रस्थान करेंगी।

पूर्व प्रधान और जनप्रतिनिधि ग्राम डुमलोट निवासी कमलेश देवी का कहना है कि ये सड़क 10 साल पहले बनी और अब तक डामरीकरण नहीं हुआ जबकि जोगीमढ़ी-सराईखेत मार्ग का निर्माण 5-6 साल पहले ही किया गया। इसके पूरे डामरीकरण का आदेश सतपाल महाराज ने दे दिया। हमारे साथ ही क्यों छल किया जा रहा है।

ग्राम कफलगैर के पूर्व शिक्षक और समाजसेवी बिलोचन प्रसाद मैंदोलिया कहते हैं कि ये छलावा है। हमारी मातृशक्ति के प्रदर्शन के बाद विधायक और मंत्री सतपाल महाराज की आंखें खुली, उन्होंने वादा किया जल्द ही डामरीकरण का आदेश होगा लेकिन आदेश दिया गया सिर्फ 3 किमी का। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

बयेड़ा गांव के समाजसेवी पंकज ढौंडियाल का कहना है कि अगर सड़क का जल्द डामरीकरण कार्य शुरू नहीं किया गया तो पूरे इलाके के लोगों और महिलाओं का आक्रोष फूट पड़ेगा।

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