असम में स्वाइन फ्लू के प्रकोप से 12 हजार सूअरों को मारने का आदेश

असम में अफ्रीकन स्वाइन फ्लू (ASI) से प्रभावित इलाकों में मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल (Sarbananda Sonowal) ने 12 हजार सूअरों को मारने का आदेश दिया है. इससे पहले भी राज्य सरकार ने अफ्रीकन स्वाइन फ्लू के चलते 18 हजार सुअरों को मारने का आदेश दिया गया था. एएसएफ का पहला मामला मई महीने मे सामने आए था. पशुओं के मालिकों का कहना है कि 10 हजार से अधिक सूअरों की इस बीमारी से मौत हो गई है. इस बीमारी का कोई टीका (vaccine) नहीं है और इसकी मृत्यु दर 90 से 100 फीसदी है. पशु मालिकों का कहना है कि सरकार ने ना तो कोई मदद की और न नुकसान की भरपाई की गई है.

डिब्रूगढ़ के पिथुबर फॉर्म के दिंगत सैकिया ने ट्वीट कर कहा, “हमारे फॉर्म में एएसएफ वायरस (Virus) की चपेट में आ गया और हमारे स्टॉक का 95 फीसदी हिस्सा यानी पिछले महीने में 280 जानवरों की मौत हो चुकी है. लॉकडाउन के बाद से हमारे लिए खेत चलाना मुश्किल हो गया था, क्योंकि शुरुआती चरण में हम अपने जानवरों को बेच नहीं पाए थे.”

 लॉकडाउन में एएसएफ बीमारी के चलते सूअर के मीट पर प्रतिबंध

“सरकार ने एएसएफ (ASF) महामारी के कारण सुअर के मांस और परिवहन पर प्रतिबंध (Banned) लगा दिया है. लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान असम में लाखों सूअर मरे थे. सैकिया की तरह तिनसुकिया, लखीमपुर और गोहपुर जैसे अन्य जिलों में भी इसी तरह का नुकसान हुआ हैं.

WHO के अनुसार एएसएफ के लिए कोई टीका नहीं

वर्ल्ड ऑर्गेनाइजेशन फॉर एनिमल हेल्थ के अनुसार, एएसएफ (ASF) एक गंभीर वायरल बीमारी है जो घरेलू और जंगली सूअर दोनों को प्रभावित करती है. यह बीमारी जानवरों से इंसानों में नहीं फैलती है. यह बीमारी गंदी चीजों से फैलती है जैसे कि जूते, कपड़े, वाहन, चाकू आदि. एएसएफ के लिए कोई टीका नहीं है.

पशुपालन और पशु चिकित्सा विभाग के आयुक्त और सचिव श्याम जगन्नाथन ने मई से अपने अनुमानों का हवाला दिया और कहा कि लगभग 18,000 सूअर (Pigs) मारे गए हैं. उन्होंने कहा कि बुधवार को सोनोवाल ने दुर्गा पूजा उत्सव से पहले 12,000 प्रभावित सूअरों को मारने का आदेश दिया है.

 राज्य के 13 जिलों में 33 एपिसेंटर हैं

प्रोटोकॉल के अनुसार, एक बार एक क्षेत्र में एएसएफ के लिए मृत सूअरों के नमूनों का परीक्षण किया जाता है, इसके चारों ओर एक किमी के दायरे को उपरिकेंद्र के रूप में घोषित किया जाता है. उस क्षेत्र के सभी सूअरों पर मुहर लगा दी जाती है. उपरिकेंद्र के बाहर एक किमी के दायरे वाले क्षेत्र को सर्विलांस जोन और बफर जोन के बाहर 9 किमी के दायरे को कहा जाता है. राज्य के 13 जिलों में 33 एपीसेंटर हैं.

जगन्नाथन ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार प्रत्येक नियम के अनुसार 50% मुआवजे का भुगतान करते हैं. “क्षतिपूर्ति राशि पशु के वजन के आधार पर टिकी हुई है. हम एक पोर्टल शुरू करने की योजना बना रहे हैं जहां किसान प्रभावित सूअरों का विवरण सूचीबद्ध कर सकते हैं. ”उन्होंने कहा कि मुआवजा किसानों के बैंक खातों में सीधा ट्रांसफर कर दिया जाता है.

वहीं पशु मालिकों  का कहना है कि सरकार की योजनाएं बहुत कम हैं. इतना ही नहीं उन लोगों को भी मुआवजा नहीं दिया गया है, जिन्होंने अपने परिवार को पहले खो दिया है. पड़ोसी राज्यों ने भी राज्य से सूअरों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है और उद्योग के संकट में जोड़ा है. 2019 पशुधन की जनगणना के अनुसार, असम में सबसे अधिक सुअर आबादी 2.1 मिलियन थी.

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