राम सेतु कैसे बनाया गया और इसकी उम्र कितनी है इसका पता लगाने के लिए एक प्रोजेक्ट इसी साल शुरू होगा. इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे वैज्ञानिकों का कहना है कि ये रामायण काल की उम्र निर्धारित तय करने में मदद कर सकता है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के तहत पुरातत्व पर केंद्रीय सलाहकार बोर्ड ने पिछले महीने सीएसआईआर-राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान, गोवा, (एनआईओ) की ओर से पेश किए गअए इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी.
अंग्रेजी अखबार ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की खबर के मुताबिक एनआईओ के निदेशक प्रोफेसर सुनील कुमार सिंह ने कहा कि राम सेतु को लेकर प्रस्तावित अध्ययन भूवैज्ञानिक काल और दूसरे सहायक पर्यावरणीय आंकड़ों के लिए पुरातात्विक पुरातन, रेडियोमेट्रिक और थर्मोल्यूमिनिसे पर आधारित होगा.
ये प्रोजेक्ट धार्मिक और राजनीतिक महत्व रखती है. हिंदू महाकाव्य ‘रामायण’ में कहा गया है कि वानर सेना ने भगवान राम को लंका पार करने और सीता को बचाने में मदद करने के लिए समुद्र पर एक पुल बनाया था, जिसे राम सेतु का नाम दिया गया. भारत और श्रीलंका के बीच बना राम सेतु पुल करीब 48 किलोमीटर लंबा है. . इस पुल की गहराई 3 फीट से लेकर 30 फीट तक है.
साल 2007 में एएसआई ने कहा था कि उसे राम सेतु को लेकर कोई सबूत नहीं मिला है. हालांकि बाद में उसने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा वापस ले लिया था. रामायण की ऐतिहासिकता और इसकी तारीख इतिहासकारों, पुरातत्वविदों और वैज्ञानिकों के बीच एक बहस का विषय बनी हुई है.
साल 1964 में राम सेतु के पास स्थित धनुषकोडी गांव एक चक्रवात के दौरान पानी में बह गया. एनआईओ ने पांच साल पहले देशभर में पानी के नीचे पुरातत्व को पुनर्जीवित करने के लिए एएसआई के साथ एक समझौता पर हस्ताक्षर किए थेय उस समय मुख्य आकर्षण राम सेतु और भगवान कृष्ण की पौराणिक नगरी द्वारका थी. द्वारका प्रोजेक्ट पर पिछले दो साल से काम चल रहा है.