(वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की कलम से)
– कोरोना माई का मीट-भात खा रहे नेता और अधिकारी: सूत्र
– और ग्राम प्रधान खा रहे गालियां और ले रहे दुश्मनी
प्रदेश सरकार के गजब हाल है। प्रवासियों की घर वापसी के लिए गांव में ग्राम प्रधान को कोरोना माई से निपटने के लिए डंडा थमा दिया है, लेकिन उसके चवन्नी भी नहीं दी। प्रधान अपने लिए दुश्मनी मोल ले रहा है क्योंकि उसे कहा गया है कि देख बे, यदि किसी प्रवासी ने क्वारंटीन तोड़ा तो तेरी खैर नहीं।
बेचारा या यूं कहें अधिकांश बेचारी ग्राम प्रधान क्वारंटीन सेंटर के चारों ओर लक्ष्मण रेखा खींचने में ही व्यस्त है। उसके पास पीपीई किट की बात तो दूर मास्क और सेनेटाइजर भी नहीं है। खाली-पीली उसे नोडल अधिकारी टाइप फीलिंग हो रही है। जो लोग प्रवास से लौटे अपने परिजनों को भोजन भी करा रहे हैं तो उनके पास न माॅस्क हैं और न ही सेनेटाइजर, न ही सोशल डिस्टेंसिंग।
सरकार को चाहिए था कि क्वारंटीन के लिए ग्राम प्रधानों या जनप्रतिनिधियों को कम से कम माॅस्क, सेनेटाइजर और छिड़काव के लिए कुछ तो बजट देते। कई क्वारंटीन सेंटरों में तो ग्राम प्रधान गाली खा रहे हैं। क्वारंटीन लोग प्रधान से अच्छा भोजन और सुविधाएं मांग रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि ग्राम प्रधान कोरोना घोटाले की रकम डकार रहे हैं।
यानी ग्राम प्रधान को एक तो चवन्नी नहीं मिली उल्टे मुफ्त में गालियां और दुश्मनी मिल रही है जबकि सूत्रों का कहना है कि आपदा फंड के कमीशन से प्रशासन के अधिकारियों से लेकर नेता मीट-भात खा रहे हैं।