(संदीप चमोली की कलम से)
देश चौथे चरण की तालाबंदी को भुगत रहा है । अभी तक़ यह संक्रमण शहरों मेँ ही सीमित था लेकिन जिस तरह से अब पहाड़ों मेँ लगातार संक्रमण फैल रहा है उससे अब अधिक जागरूक और सचेत रहने की आवश्यकता है । सामाजिक दूरी का पालन तो होगा ही नहीं अपितु इसको त्वरित अमल मेँ लाना होगा ।
हजारों की संख्या मेँ प्रवासी लोग पहाड़ चढ़ चुके है । जिनको कि नजदीकी पंचायत घर या सरकारी विद्यालय मेँ रखा गया है । उनकी लगातार जाँच के लिये समुचित संसाधनो से लैस चिकित्सकों की व्यवस्था करना सरकार के लिये सिर दर्द भले हो लेकिन करना जरूरी है । भगवान ना करे यदि यह कम्यूनिटी मेँ फैल गया तो स्थिति की कल्पना मात्र से ही हृदय सिहर उठेगा ।
ग्राम प्रधान को प्रशासक भले बना दिया है परन्तु बिना धन के वह भी स्थिति को संभाल नहीं सकेंगे । बजट ब्लॉक से ग्राम प्रधान तक़ पहुँचना अति आवश्यक है ताकि वह जरूरी सामान की व्यवस्था कर पाएं ।
जो प्रवासी बंधु गाँव पहुँच रहे है उन्हे स्थानीय प्रशासन को सूचना अवश्य देनी चाहिऐ एवं नियमों का पालन करना चाहिऐ ताकि आपके कारण कोई अनहोनी ना होने पाएं । संयम बनाएं रखना भी आवश्यक है ।
बाद बाकी सरकार यदि कोई चूक करती है तो पहाड़ों मेँ यह पुतला कोरोना से निपटने मेँ खुद ही सक्षम है । जिसने बंदर , सूअर और जंगली जानवरों से खेती की मुस्तैदी से रक्षा की हो तो यह कोरोना कौन से बड़ी बला है ।