देहरादून (कैलाश बिष्ट)। एक बार फिर अफवाह फैलाई गई। अफवाह मुख्यमंत्री के खिलाफ। इस बार अफवाह ये फैलाई गई कि प्रदेश के राज्य मंत्री धन सिंह रावत को कार्यवाहक मुख्यमंत्री बना दिया गया है। खबर सोशल मीडिया पर वायरल की गई। हड़कंप मचा और फिर खंडन के लिए खुद धन सिंह रावत को आगे आना पड़ा।
सवाल ये है कि ऐसी अफवाह किसने फैलाई और इसको फैलाने के पीछे मकसद था क्या। अगर अफवाह पर गौर किया जाए तो इसको फैलाने का मकसद सीधे सीधे मुख्यमंत्री को असहज करने का था और उनके विरोधियों को फिर एक्टिव करने का। लेकिन अफवाह तो अफवाह होती है।उसका भंडाफोड़ जल्दी हो जाता है। इस बार फिर वही हुआ।
लेकिन इस तरह की राजनीतिक अफवाहें साफ तौर पर राजनीतिक षडयंत्र हैं। ऐसे षड्यंत्र कई बार रचे गए हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह के खिलाफ तो ऐसा बार बार किया जा रहा है। इसके पीछे बकायदा एक खास गिरोह है जो उनके राजनीतिक विरोधियों के इशारे पर ऐसा करता है। एक पूरा तंत्र बाकायदा सोशल मीडिया पर त्रिवेंद्र के खिलाफ मुहिम चलाता है।
त्रिवेंद्र सिंह रावत से संबंधित कोई भी खबर जब सोशल मीडिया पर पोस्ट होती है तो ये अमुक गिरोह उस पर प्रतिक्रिया देने से नहीं चूकता। इस गिरोह का मकसद किसी भी तरह, किसी भी मुद्दे पर सिर्फ त्रिवेंद्र के खिलाफ माहौल बनाने का होता है। सोशल मीडिया पर ये सब यूं ही नहीं हो रहा है। इस गिरोह को राजनीति के कुछ बड़े आका हैंडल कर रहे हैं।
दरअसल जो अब हो रहा है वो उत्तराखंड में नया नहीं है। इस छोटे से राज्य में इसी तरह के षड्यंत्रों से राजनीतिक अस्थिरता पैदा की जाती रही है। त्रिवेंद्र सिंह रावत को अस्थिर करने के लिए इस तरह की कई मुहिम छेड़ी जा चुकी हैं लेकिन हर बार विरोधी चित हो जाते हैं।
त्रिवेंद्र की सबसे बड़ी ताकत उनकी ईमानदार छवि रही है। ये हर बार षड्यंत्रकारियों पर भारी पड़ जाती है। दरअसल त्रिवेंद्र ने जब से सत्ता संभाली है तब से उनके दामन पर भ्रष्टाचार का कोई दाग नहीं लगा है, भले ही इसकी कोशिशें कई बार की गई हैं।
उनको राजनीतिक तौर पर चित करने के लिए उनकी ही पार्टी के कुछ दिग्गजों ने पर्दे के पीछे से खूब ताकत लगाई लेकिन विधानसभा चुनाव के बाद हर चुनाव में पार्टी की जीत ने त्रिवेंद्र को ही हर तरीके से मजबूत साबित किया।
पार्टी में ही अंदरखाने उनके विरोधियों ने आलाकमान की शरण में जाकर त्रिवेंद्र को हिलाने की भी कोशिश की और पहले सोशल मीडिया, फिर मेन स्ट्रीम मीडिया में भी मुख्यमंत्री को बदले जाने की खबरों को जोर शोर से उठाने पर अपना बल लगाया, लेकिन सब बेकार साबित हुआ। ये सब इसीलिए हुआ क्योंकि त्रिवेंद्र के खिलाफ एक भी लूपहोल आलाकमान को कहीं नजर नहीं आया।
अब कोरोना और सतपाल महाराज को लेकर माहौल गर्म किया जा रहा है। विरोध के स्वर कांग्रेस ने प्रबल कर रखे हैं और इसी गर्म लोहे को पीटने की फिराक में वो लोग हैं जो त्रिवेंद्र को कमजोर करने वाले उनकी ही पार्टी के भीतर बैठे हैं। महाराज के कोरोना पॉजिटिव आने से देश में उत्तराखंड सरकार की खबर गर्म है और इस वक्त इस गर्म सियासी लोहे को पीटकर अपने मुताबिक साँचा बनाने की जुगत में कुछ सियासतदां लगे हुए हैं।
त्रिवेंद्र भला राजनीति के इन दांव पेंचों को कहां समझेंगे।