काशीपुर (नेटवर्क 10 संवाददाता)। खबर ऐसी है कि जो पढ़ेगा वो दांतों तले उंगली दबा देगा। वैसे तो कोरोना काल में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिल रहे हैं। देश के कोने कोने से ऐसी खबरें आ रही हैं लेकिन उत्तराखंड के लिए ये खबर कुछ अलग है। देश में कई कई मील पैदल यात्रा कर रहे लोगों की कहानी आप रोज देख और पढ़ रहे हैं, लेकिन यहां हम आपको काशीपुर की एक बेटी की कहानी बता रहे हैं।
इस बेटी का नाम है अनीता। कोरोना काल इस बेटी के लिए कहर से कम नहीं रहा। अब तो ये बेची अपने घर पहुंच चुकी है लेकिन अब तक उसके साथ जो कुछ हुआ वो चौंकाने वाली घटना है। अनीता की पहली तो नौकरी चली गई और फिर मकान मालिक ने उसे मकान खाली करने के लिए कह दिया। फिर क्या था, अनीता चल पड़ी पैदल ही अपने घर के लिए।
नैनीताल जिले की रहने वाली अनीता गाजियाबाद की एक कंपनी में नौकरी करती थी। कोरोना काल में लॉकडाउन हुआ तो उसकी नौकरी चली गई। अनीता ने बताया कि इस बीच वो जिस दुकान से उधार में सामान खरीददती थी उसने भी राशन देना बंद कर दिया। एक दिन मकान मालिक ने भी किराए का कमरा खाली कर दिया। फिर अनीता सैकड़ों किमी पैदल सफर पर निकल पड़ीं। जब वह काशीपुर में उत्तराखंड- यूपी की सीमा पर पहुंची तो यहां उसने सूर्या चौकी बॉर्डर पुलिसकर्मियों को आपबीती बताई। इसके बाद पुलिस वालों ने उसे बस से उसके घर के लिए रवाना किया।
अनीता मूल रूप से नैनीताल जिले के कोटाबाग की रहने वाली है। अनीता का कहना है कि उसने करीब साढ़े तीन सौ किलोमीटर की यात्रा की है। उसके साथ जब गाजियाबाद में घटना घटी तो उसने करीब दो सप्ताह पूर्व घर आने के लिए आवेदन भी किया। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। आखिरकार आर्थिक संकट के चलते मजबूर हुई अनीता गाजियाबाद से पैदल ही अपने गांव कोटाबाग के लिए निकल पड़ी।