हिमाचल प्रदेश के चार निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के खिलाफ सोमवार को बड़ी कार्रवाई होगी। नियुक्ति प्रक्रिया और शैक्षणिक योग्यता के आधार पर अयोग्य करार दिए जाने के बावजूद इन्होंने अभी तक पद नहीं छोड़ा है। राज्य निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग के नोटिस का भी इन विश्वविद्यालयों के चांसलर ने कोई जवाब नहीं दिया है। अब नियामक आयोग अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए इनके खिलाफ कार्रवाई करेगा।
एमएमयू और अरनी विवि के चांसलरों ने अपने कुलपतियों को पद छोड़ने के निर्देश देने की आयोग को बीते दिनों जानकारी दी है। इससे पूर्व तीन विवि के कुलपति इस्तीफे दे चुके हैं। हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान आयोग ने दिसंबर के पहले सप्ताह में निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की शैक्षणिक योग्यता और नियुक्ति प्रक्रिया की जांच के बाद दस कुलपतियों को अयोग्य करार दिया था।
दो कुलपतियों की आयु यूजीसी से निर्धारित आयु से अधिक थी, जबकि आठ कुलपतियों पर बतौर प्रोफेसर दस वर्ष का अनुभव न होने और प्रोफेसर की नियुक्ति के समय पीएचडी नहीं होना था। इन विवि के चांसलरों को आयोग की ओर से नोटिस भेजकर अयोग्य कुलपतियों को अपने पदों से हटाने को कहा गया था।
इसी बीच तीन विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। सात कुलपतियों ने उन पर लगे आरोपों की दोबारा से जांच मांगी थी। बीते सप्ताह दूसरी बार हुई जांच में छह कुलपति दोबारा से अयोग्य साबित हुए हैं। दूसरी बार हुई जांच में भी अयोग्य साबित हुए छह कुलपतियों को उनके पदों से हटाने के लिए आयोग ने संबंधित चांसलरों को निर्देश जारी किए थे।
इसी कड़ी में विगत शुक्रवार आयोग के पास एमएमयू और अरनी विवि की ओर से कुलपतियों को हटाने के निर्देश देने की ई-मेल आई है। चार विश्वविद्यालयों की ओर से अयोग्य करार दिए गए कुलपतियों के खिलाफ की गई कार्रवाई को लेकर अभी तक कोई जवाब नहीं है। अब इनके खिलाफ आयोग स्वयं कार्रवाई करेगा।
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