देहरादून। पीसीएस अधिकारियों की वरिष्ठता सूची तकरीबन तैयार हो गई है। शासन ने सूची को लेकर प्राप्त आपत्तियों का अध्ययन कर लिया है। अब जल्द इस सूची को जारी करने से पहले मुख्यमंत्री कार्यालय भेजने की तैयारी है। इसके बाद 2005 बैच के पीसीएस अधिकारियों के आइएएस बनने का रास्ता साफ हो जाएगा। प्रदेश में पीसीएस की वरिष्ठता सूची जारी करने में लंबा वक्त लगा है। दरअसल, वर्ष 2010 से ही सीधी भर्ती और पदोन्नत पीसीएस के बीच वरिष्ठता का विवाद चल रहा है। उत्तर प्रदेश से अलग होकर वर्ष 2000 में जब उत्तराखंड का गठन हुआ, उस समय प्रदेश में पीसीएस अधिकारियों की संख्या खासी कम थी। इसे देखते हुए शासन ने तहसीलदार व कार्यवाहक तहसीलदारों को तदर्थ पदोन्नति देकर उपजिलाधिकारी (एसडीएम) बना दिया था। वर्ष 2005 में सीधी भर्ती से पीसीएस अधिकारियों का चयन हुआ। विवाद की स्थिति तब पैदा हुई, जब उत्तराखंड शासन ने अधिकारियों की पदोन्नति के लिए वर्ष 2010 में एक फार्मूला तैयार किया।
इसके तहत वरिष्ठता सूची में एक अधिकारी सीधी भर्ती, तो एक अधिकारी पदोन्नत अधिकारी में से लिया गया। इस पर पदोन्नत पीसीएस अधिकारियों ने पहले हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट की शरण ली। बीते वर्ष फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने सीधी भर्ती वालों के पक्ष में फैसला दिया।
इस पर पदोन्नत पीसीएस अधिकारियों ने सीधी भर्ती के कुछ अधिकारियों पर यह कहते आपत्ति जताई कि इनकी भर्ती तय पदों के सापेक्ष नहीं हुई है। ऐसे में इन्हें वरिष्ठता क्रम में उनसे नीचे रखा जाए। इसके बाद सभी पदोन्नत पीसीएस और सीधी भर्ती के पांच पीसीएस अधिकारियों ने शासन के सामने अपना पक्ष रखा है। अब इनका अध्ययन कर लिया गया है। माना जा रहा है कि जल्द इसका निस्तारण कर लिया जाएगा।