देहरादून। ग्राफिक एरा ने चिकित्सा जगत को एक बड़े तोहफे से नवाजा है। ग्राफिक एरा ने टाइफाइड की जांच के लिए एक नई और विश्वसनीय तकनीकी का आविष्कार किया है। केंद्र सरकार ने ग्राफिक एरा के नाम पेटेंट दर्ज करके इस कामयाबी पर अपनी मुहर लगा दी है।
दुनियाभर में टाइफाइड की जांच के लिए अभी विडाल टेस्ट किया जाता है। विडाल टेस्ट में कई कमियां होने के कारण इसके परिणाम पूरी तरह विश्वसनीय नहीं होते। आमतौर पर विडाल टेस्ट के बाद करीब 14 प्रतिशत गलत रिपोर्ट आती है। यानी टाइफाइड न होते हुए भी रिपोर्ट पॉजिटिव मिलती है। यही वजह है कि डॉक्टर आमतौर पर विडाल टेस्ट पॉजिटिव आने के बाद उसके रिजल्ट की पुष्टि के लिए कल्चर कराने की सलाह देते हैं। कल्चर कराने के बाद उसकी रिपोर्ट आने में एक हफ्ते से ज्यादा समय लग जाता है।
ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवॢसटी के बायोटेक डिपार्टमेंट की टीम ने लाइफ साईंस के विभागाध्यक्ष डॉ. पंकज गौतम के नेतृत्व में टाइफाइड की जांच की नई तकनीक का आविष्कार किया है। इस टीम में बायोटेक के विभागाध्यक्ष डॉ. नवीन कुमार, डॉ. निशांत राय व डॉ. आशीष थपलियाल शामिल हैं। डॉ. पंकज गौतम ने बताया कि यह नई टेक्नोलॉजी डीएनए पर आधारित है, इसमें गलती की कोई गुंजाइश नहीं है। आविष्कार करने वाली टीम के सदस्य बायोटेक डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. नवीन कुमार ने बताया कि कई साल के लगातार प्रयासों के बाद इस आविष्कार में कामयाबी मिली है।
कुलपति डॉ. राकेश कुमार शर्मा ने बताया कि इस महत्वपूर्ण आविष्कार को पेटेंट कराने के लिए वर्ष 2014 में आवेदन किया गया। ग्राफिक एरा एजुकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. कमल घनशाला ने टाइफाइड की जांच की नई तकनीक के आविष्कार और इसका पेटेंट मिलने पर आविष्कारक टीम के साथ ही समूचे ग्राफिक एरा परिवार व उत्तराखंड को पूरी दुनिया को नई और प्रमाणिक टेक्नोलॉजी का तोहफा देने पर बधाई दी है।