नई टिहरी, (नेटवर्क 10 संवाददाता)। उत्तराखंड में बदलता मौसम भले ही लोगों को गर्मी से राहत का अहसास करा रहा है लेकिन ये कई मायनों में नुकसानदेह भी साबित हो रहा है। एक तरफ आंधी तूफान और ओले पड़ने से फसलें बर्बाद हो गई हैं तो दूसरी तरफ टिहरी झूल में तूफान के चलते आधा दर्जन बोट्स डूब गई हैं।
बोट्स डूबने से इनके इंजन खराब हो गए हैं। इससे बोट मालिकों को काफी घाटा झेलना पड़ रहा है। वैसे ही झील में पर्यटक नहीं आ रहे हैं और ऊपर से ये दोहरी मार बोट मालिकों पर पड़ी है। गुरुवार को आए तूफान से टिहरी झील में आधा दर्जन बोट पानी में डूब गई, जिससे बोट मालिकों को काफी नुकसान हुआ। किसी तरह से बोटों को पानी से तो निकाला गया, लेकिन बोटों का इंजन खराब होने से बोट मालिक बेहद परेशान हैं। वहीं, बीते बुधवार की रात को अवरुद्ध हुए गंगोत्री हाईवे को सीमा सड़क संगठन के जवानों ने 30 घंटे बाद सुचारू कर दिया है।
आपको बता दें कि इस बार लॉकडाउन के चलते टिहरी झील के वोट मालिकों को पहले ही काफी नुकसान उठाना पड़ा है। बोट यूनियन के संरक्षण कुलदीप पंवार कहना है कि गुरुवार को आए तूफान से बोट मालिक प्रदीप, मनीष रावत, अनुज, नरी उनियाल, सतपाल, दिनेश सिंह की बोट पानी में डूब गई, जिसे शुक्रवार को किसी तरह पानी से निकाला गया, लेकिन रातभर पानी में डूबने से नाव को भारी नुकसान पहुंचा है। उनका कहना है कि पहले ही बोट मालिकों को घाटा उठाना पड़ रहा है। वहीं, बोट को नुकसान पहुंचने से वे परेशान हैं।
पंवार ने कहा झील में केवल मार्च, अप्रैल, जून, जुलाई में ही वे सालभर की रोजी-रोटी कमाते हैं, लेकिन इस बार उन्हें घाटा उठाना पड़ रहा है। कुलदीप पंवार ने सरकार से प्रभावितों को आर्थिक सहायता दिए जाने की मांग की है। मांग करने वालों में दिनेश पंवार, प्रमोद नेगी, मनीष, ललित कुमार आदि शामिल थे।
इधर, आंधी तूफान और तेज बारिश के चलते उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर गंगोत्री की गंगनानी के पास बुधवार की रात को भारी भूस्खलन हुआ। इससे उपला टकनौर के हर्षिल, मुखवा, धराली, पुराली, जसपुर, झाला, सुक्की सहित हुरी, भंगेली गांवों से संपर्क कटा। इसके साथ ही गंगोत्री धाम और भारत-चीन सीमा की चौकियों से भी संपर्क कटा। बीआरओ के जवान गुरुवार की सुबह से मार्ग खोलने में जुट गए थे।