ऊखीमठ (नेटवर्क 10 संवाददाता)। देवभूमि में द्वितीय केदार के नाम से मशहूर भगवान मध्यमेश्वर के कपाट खोलने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। भगवान की की भोग मूíत को गर्भगृह से बाहर लाकर सभामंडप में विराजमान कर दिया गया है। इस अवसर पर पंचगाई समिति से जुड़े पांच गांवों की महिलाओं ने भगवान को छाबड़ी का भोग लगाया। शुक्रवार को भी बाबा मध्यमेश्वर सभामंडप में ही भक्तों को दर्शन देंगे और शनिवार को बाबा की उत्सव डोली मध्यमेश्वर के लिए रवाना हो जाएगी।
सैकड़ों साल से चली आ रही परंपरा के अनुसार गुरुवार को बाबा मध्यमेश्वर की भोग मूíत की शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के गर्भगृह में विशेष पूजा-अर्चना की गई। सुबह पांच बजे पुजारी बागेश लिग ने बाबा को रुद्राभिषेक व महाभिषेक किया। सात बजे आचार्य विश्वमोहन जमलोकी ने सभामंडप में हवन-पूजा की परंपरा का निर्वहन किया। इसके बाद विधि-विधान पूर्वक भोग मूर्ति को गर्भगृह से बाहर लाकर सभामंडप में विराजमान किया गया। यहां मध्यमेश्वर के पुजारी गंगाधर लिंग ने बाबा का रुद्राभिषेक, विशेष आरती एवं भोग की परंपराओं का निर्वहन किया। जबकि, हक-हकूकधारियों ने बाबा को नए अनाज का भोग लगाया।
पुजारी गंगाधर लिंग ने बताया कि शनिवार को डोली ओंकारेश्वर मंदिर से रांसी स्थित राकेश्वरी मंदिर के लिए प्रस्थान करेगी। रविवार को डोली रांसी से गौंडार और 11 मई को सुबह मध्यमेश्वर धाम पहुंचेगी। इसी दिन ठीक 11 बजे मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे। कोरोना संक्रमण के चलते इस बार उत्सव डोली रांसी से दो किमी आगे तक वाहन से ले जाई जाएगी। डोली यात्रा में शारीरिक दूरी का पालन करते हुए सीमित संख्या में ही लोग शामिल होंगे।