उत्तराखंड में जीरो बजट खेती, जड़धारी ने बिना खेत जोते पैदा कर दी गेहूं की फसल, पहली बार हुआ चमत्कार

टिहरी (नेटवर्क 10 संवाददाता)। क्या आप सोच सकते हैं कि खेत को बिना जोते ही कोई फसल तैयार हो सकती है। इसे कोई चमत्कार ही मानेगा। ये चमत्कार उत्तराखंड में हुआ है और इसे किया है बीज बचाओ आंदोलन के प्रणेता विजय जड़धारी ने।

जड़धारी ने टिहरी में बिना खेत जोते और बिना खाद के इस्तेमाल के गेहूं की बहुत अच्छी फसल पैदा की है। इस फसल की जल्दी ही कटाई शुरू हो जाएगी और उम्मीद है कि पैदावार अच्छी होगी। इसे जीरो बजट खेती का नाम दिया गया है।

विजय जड़धारी प्रदेश में एक जाना पहचाना नाम है। वे टिहरी जिले के जड़धार गांव के रहने वाले हैं। इसको लेकर जागरण ने एक स्पेशल रिपोर्ट भी प्रकाशित की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक जड़धारी ने नागणी गांव में अपने खेतों में इस बार नया प्रयोग किया। उन्होंने खेतों की बिना जुताई के ही गेहूं की फसल बोई। अब फसल पककर तैयार हो गई है।

क्या कहते हैं जड़धारी

बीज बचाओ आंदोलन के प्रणेता विजय जड़धारी का कहना है कि उन्होंने नवंबर में धान की फसल लेने के बाद खाली हुए खेतों में गेहूं की बुआई की और फिर खेतों को धान के पराली से ढक दिया। खास बात यह कि उन्होंने खेतों की जुताई नहीं की। कुछ समय बाद धान का पराली खेतों में ही सड़ गई और गेहूं अंकुरित हो गए। वर्तमान में उनके खेतों में गेंहू की फसल लहलहा रही है। फसल को देखकर लग रहा है कि नए तरीके से की गई खेती से इस बार बंपर उत्पादन मिलेगा।

इस तरह होता है ये चमत्कार

विजय जड़धारी ने बताया कि नए तरीके से गेहूं की फसल उगाने के लिए खाली खेत में बीज डाल दिए जाते हैं। इसके लिए खेत में हल नहीं लगाया जाता। सिर्फ खेत में उगे खरपतवार, घास आदि को ही हटाया जाता है। बीज बोने के बाद धान की पराली से खेत को पूरी तरह ढक दिया जाता है। कुछ समय बाद पराली सड़ जाती है और गेहूं अंकुरित हो जाते हैं। सड़ी हुई पराली खाद का काम करती है। कुछ माह बाद फसल तैयार हो जाती है। जिले में अपनी तरह का यह पहला प्रयोग है, जो सफल रहा है। बताया कि वर्तमान में लोग बैल नहीं पाल रहे हैं। ऐसे में बिना हल चलाए खेती करने का यह प्रयोग भविष्य के लिए उपयोगी साबित हो सकता है। इसे ‘जीरो बजट’ खेती भी कह सकते हैं।

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