उत्तरकाशी में 50 सालों से बौद्ध कालीन मूर्तियां मिलने का सिलसिला जारी

उत्तरकाशी: डुंडा प्रखंड के ग्राम सभा खुरमोला गांव के रामनगर तोक में साल 1965 से लगातार बौद्धकालीन मूर्तियों के मिलने का सिलसिला जारी है. ग्रामीणों के अनुसार विगत 55 सालों से ग्रामीणों को रामनगर तोक में खुदाई और भवन निर्माण के दौरान कई पाषाण मूर्तियां मिल चुकी हैं. सभी मूर्तियां को गांव के काली मंदिर में रखा गया है. हाल ही में जलस्रोत की खुदाई के दौरान भी ग्रामीणों को बुद्ध की एक मूर्ति मिली है. ग्रामीणों ने इन मूर्तियों के पुरातत्व विभाग से संरक्षण की मांग की है.

खुरमोला ग्रामसभा के रामनगर तोक के बुजुर्ग त्रेपन सिंह कुमाई ने फोन पर दी जानकारी में बताया कि साल 1965 में गांव के एक व्यक्ति सत्यशरण डोभाल ने रामनगर में भवन निर्माण के लिए खुदाई की तो उन्हें यहां पर कुछ मूर्तियां मिली. उस समय उन्होंने उस स्थान पर भवन नहीं बनाया. उसके बाद पटारा गांव के आतोल सिंह नेगी ने गौशाला बनाने के लिए खुदाई की तो उस समय भी उन्हें वहां पर खुदाई में पाषाण मूर्तियां मिली थी.

त्रेपन सिंह कुमाई बताते हैं कि इसके बाद आज से करीब 20 साल पहले हुकुम सिंह और कालीराम डोभाल को भी खेत में हल लगाते हुए पाषाण मूर्तियां मिली थी. हाल ही में जून महीने में भी जल स्रोत की खुदाई के दौरान युवाओं को बुद्ध के चेहरे की पाषाण मूर्ति मिली. पुरानी मिली मूर्तियां काली मंदिर में रखी गई हैं. बुजुर्गों के अनुसार इस क्षेत्र में तिब्बत और बौद्ध धर्म का प्रभाव रहा होगा, इसलिए यहां पर यह मूर्तियां मिल रही हैं.

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