कोटद्वार (नेटवर्क 10 संवाददाता)। …साहब हमें इजाजत दे दो, हम पैदल ही अपने घर चले जाएंगे। हिम्मत जवाब दे चुकी है, इस मुसीबत में परिवार से दूर नहीं रह सकते। ये शब्द उन मजदूरों के हैं जो कोटद्वार की कोतवाली में घर जाने की इजाजत मांग रहे थे। ये वे मजदूर हैं जो बिहार से कोटद्वार आए थे लेकिन फैक्ट्रियां बंद होने की वजह से इनको दिहाड़ी नहीं मिल पा रही है।
इन मजदूरों का कहना था कि उन्हें कुछ लोग मदद कर रहे हैं, खाना मुहैया करा रहे हैं लेकिन ऐसा कब तक चलेगा। उन्होंने कहा कि हम मेहनत करके खाने कमाने वाले हैं। फैक्ट्रियां बंद पड़ी हैं। ऐसे में परिवार को कैसे पाल पाएंगे। मन और दिमाग अपनों की चिंता में दुखी रहता है। आप हमें इजाजत दे दीजिए, हम पैदल ही अपने घरों को चले जाएंगे। इस विपदा की घड़ी में परिवार से दूर रहना मुश्किल होता जा रहा।
मंगलवार को जशोधरपुर स्थित फैक्ट्रियों में काम करने वाले बिहार राज्य के श्रमिकों ने पुलिस से यह गुहार लगाई। कोतवाली में पहुंचे श्रमिकों का कहना था कि वह काम की तलाश में वर्षों पहले बिहार से कोटद्वार आए थे। यहां मेहनत-मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे थे, लेकिन लॉकडाउन के कारण पिछले डेढ़ माह से फैक्ट्री बंद पड़ी हुई है।
इन लोगों का कहना था कि हम लोग पूरी तरह प्रशासन व सामाजिक संगठनों की सहायता पर निर्भर हो गए हैं। पिछले दो माह से अपने घर पैसे नहीं भेजे हैं। परिवार किस हाल में होगा इस चिता ने रातों की नींद भी उड़ा दी है। हमें सूचना मिली है कि सरकार प्रवासी मजदूरों को उनके घर तक भेजने के व्यवस्था कर रही है। यदि व्यवस्था होती है तो ठीक है नहीं तो हमें पैदल ही घर जाने की इजाजत दी जाए। पिछले कई दिनों से तहसील व कोतवाली के चक्कर काटते-काटते हम परेशान हो गए हैं।
कोटद्वार और भाबर क्षेत्र में फंसे तीन हजार से अधिक प्रवासियों ने अपने घर जाने के लिए कोतवाली में रजिस्ट्रेशन करवाया है। पुलिस की ओर से रजिस्ट्रेशन के लिए श्रमिकों के आधारकार्ड व एप्लीकेशन मांगी जा रही है। हर रोज बड़ी संख्या में श्रमिक रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए कोतवाली में पहुंच रहे हैं। शासन-प्रशासन से निर्देश मिलने के श्रमिकों को घर भेजने के लिए व्यवस्था करवाई जाएगी। कोतवाल,मनोज रतूड़ी का कहना है कि शासन के निर्देश पर कोटद्वार व भाबर क्षेत्र में फंसे प्रवासी श्रमिकों के रजिस्ट्रेशन करवाए जा रहे हैं। हर रोज श्रमिकों की संख्या बढ़ रही है। निर्देश के बाद ही इन्हें घर तक पहुंचाने के इंतजाम किए जाएंगे।