दिवाली की सजावट के लिए बढ़ी मिट्टी के दियों की मांग, कुम्हारों के चेहरे पर ख़ुशी

हल्द्वानी: दीपावली पर मिट्टी के दिए बनाने वाले कुम्हारों को काफी उम्मीदें हैं. इस पर्व पर मिट्टी के दियों से घरों में रोशनी करने की सदियों पुरानी परंपरा है. इस बार बाजार में चाइना के उत्पाद नहीं आने के चलते और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल को बढ़ावा देने के नारे के बाद मिट्टी के दिए बनाने वाले कुम्हारों को भी उम्मीद जगी है कि कारोबार अच्छा होगा.

मिट्टी के दियों के साथ-साथ मिट्टी के बर्तनों से हल्द्वानी में दुकानें बरेली रोड बाजार तक सज चुकी हैं. इस बार लोग पारंपरिक मिट्टी के दियों से दीपावली मनाने के लिए तैयारी कर रहे हैं. हालांकि आधुनिकता के इस दौर में दियों का स्थान बिजली की झालरों ने ले लिया है. लेकिन सरकार ने चीनी उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया है. ऐसे में मिट्टी के दियों और बर्तनों का कारोबार करने वाले लोगों को काफी उम्मीद जगी है.

लॉकडाउन के बाद से आर्थिक दंश झेल रहे कुम्हारों को भी उम्मीद है कि इस दीपावली में उनके नुकसान की भरपाई हो पाएगी. समय के अनुसार इस बार अपनी माटी की कला में भी परिवर्तन किया है. रंग-बिरंगे दियों के साथ-साथ मिट्टी की मूर्तियों के अलावा मिट्टी के खेल खिलौने भी बाजारों में बिक्री के लिए उतारे हैं, जिससे कि लोग आकर्षित हो सकें. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार मिट्टी के दियों से दशकों पूर्व की पारंपरिक दीपावली देखने को मिल सकती है.

दीपावली पर माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए शुद्ध मिट्टी के दिए का प्रयोग करना खास माना जाता है. हल्द्वानी के बरेली रोड में दीपावली के मौके पर स्थानीय कुम्हारों ने दुकानें सजा रखी हैं. यहां पर ग्राहकों की भारी भीड़ देखी जा रही है. ऐसे में दुकानदारों के भी चेहरे खिले हुए हैं और उनको उम्मीद है कि उनका कारोबार इस बार अच्छा होगा.

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