अल्मोड़ा/ बागेश्वर : त्योहारी सीजन करीब है। मीठे जहर के सौदागर सक्रिय होने लगे हैं। बाजार में मिलावटी दुग्ध पदार्थो की बिक्री पर कारगर अंकुश को बेशक प्रशासन व खाद्य सुरक्षा विभाग सतर्क है। लगातार छापे भी मारे जा रहे। मगर सौदागरों के झांसे में आकर मिलावटी मावा सस्ते में खरीद लिया जाता है। ऐसे में चुनौतियां भी खूब हैं। बीते वर्षो में काशीपुर, मुरादाबाद व बरेली क्षेत्र से ऊधम सिंह नगर, रामनगर व कुमाऊं के प्रवेशद्वार हल्द्वानी में पकड़े गए मामले इसी ओर संकेत दे रहे। चूंकि मैदान से मिलावटी दुग्ध पदार्थ बिचौलियों के माध्यम से गुपचुप यात्री बस व जीपों आदि के जरिये पहाड़ भेजे जाते हैं। इससे असल आरोपित साफ बच जाते हैं। यही नहीं जिस नगर क्षेत्र में माल पकड़ा जाता है, कोई व्यापारी जिम्मेदारी नहीं लेता। ऐसे में मिलावटखोरों तक पहुंचना मुश्किल रहता है। सूत्र दावा करते हैं कि बीते कुछ वर्षो में हल्द्वानी अल्मोड़ा हाईवे पर सख्ती के बाद मिलावटखोरों ने रूट बदलकर रामनगर से वाया भतरौंजखान रानीखेत व अल्मोड़ा के बाद बागेश्वर का रुख करने लगे हैं।
यूरिया, सोडा आदि रसायनों की जांच के लिए मिल्क टेस्क किट निजी रूप से खरीदी है। मौके पर ही टेस्ट कर लेते हैं। पहाड़ में अभी तक ऐसे मामले तो नहीं पकड़े गए। कुछ वर्ष पूर्व एक कंपनी पर तीन लाख का जुर्माना लगाया जा चुका है। फूड सेफ्टी एक्ट के तहत 35 मामलों पर वाद चल रहे हैं। लगातार सैंपलिंग को प्रशासन व खाद्य विभाग की विभिन्न टीमें गठित कर छापे मारे जा रहे हैं। नकली दूध व इससे बने उत्पादों से बचने के लिए जनचेतना अभियान भी चला रहे हैं।
– एएस रावत, अभिहित अधिकारी अल्मोड़ा
मिलावटी दूध व अन्य दुग्ध पदार्थ बनाने के लिए कास्टिक सोडा, डिटर्जेट, यूरिया आदि घातक रसायन के साथ ही चर्बी, डालडा आदि भी मिलाए जा रहे। इससे आंतों में सूजन, पेट के विकार तो आते ही हैं। ये रसायन किडनी को डैमेज कर सकते हैं।
= डा. एचसी गढ़कोटी, मुख्य चिकित्साधीक्षक बेस चिकित्सालय