नई दिल्ली. अगर कुछ वक्त पहले की बात करें तो सरकरी कंपनी से निकलने वाली राख (फ्लाई ऐश) को ठिकाने लगाने में अधिकारियों के पसीने छूट जाते थे. लोगों की खुशामत की जाती थी कि वो इसे ले जाएं और इस्तेमाल करें. लोडिंग-अनलोडिंग के खर्च पर राख दे दी जाती थी. लेकिन अब इस सरकारी कंपनी नेशनल थॉर्मल पावर कॉरपोरेशन (NTPC) के ऐसे अच्छे दिन आए कि अब उसी राख को लेने के लिए करोड़ों रुपये की बोली लगती है, ट्रेंडर भरे जाते हैं. राख लेने के लिए लोग लाइन में रहते हैं. दाम भी अच्छे मिल रहे हैं. अब ट्रेन से राख को देशभर के कोने-कोने में पहुंचाया जा रहा है.
एक साल में 52 मिलियन टन राख निकलती है NTPC से
जानकारों की मानें तो एनटीपीसी के 70 पावर प्लांट हैं. इसमे से 24 कोयले से चलने वाले तो 7 कोयला और गैस आधारित हैं. पूरे एक साल में एनटीपीसी के देशभर में फैले प्लांट से 52 मिलियन टन फ्लाई ऐश निकलती है. यह कुल राख का 80 फीसद है. 20 फीसदी दूसरी तरह की राख निकलती है. वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान एनटीपीसी ने करीब 44.33 मिलियन टन फ्लाई ऐश विभिन्न लाभकारी उद्देश्यों को हासिल करने के लिए बेचा था.
इस काम आ रही है NTPC के प्लांट से निकली राख
एनटीपीसी से राख खरीदने वाले ड़े सप्लायर्स की मानें तो इस राख का इस्तेमाल अब सीमेंट, ईंट निर्माण, सड़क, तटबंध बनाने, खदान भरने और राख से खाई को पाटने के लिए किया जा रहा है. वहीं अब मकान बनवाने के दौरान लोग मकान को ऊंचा उठाने या फिर पहले से ही नीची ज़मीन को समतल करने के लिए इस फ्लाई ऐश का इस्तेमाल हो रहा है.
सबसे बड़ी बात यह है कि सीमेंट फैक्ट्रियां एनटीपीसी से निकलने वाली इस राख की बड़ी खरीदार बन गई हैं. हाल ही में असम के नागाँव में डालमिया सीमेंट लिमिटेड के प्लांट में मालगाड़ी के 59 वैगन भरकर 3,834 मीट्रिक टन फ्लाई ऐश भेजी गई थी. इससे पहले, फ्लाई ऐश से भरी रेल रेक को टिकरिया (उत्तर प्रदेश), कोमोर (मध्य प्रदेश) और रोपड़ (पंजाब) में एसीसी सीमेंट प्लांट के लिए भी भेजा गया था.