कोरोना संकट और चीन से तनातनी के बीच देश में लोकल फॉर वोकल और आत्मनिर्भर भारत को काफी बढ़ावा मिला है. इसी के चलते इस त्यौहारी सीजन चीन के प्रोडक्ट्स पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए कुछ खास प्लान किया गया है. दिवाली पर आपको सबसे ज्यादा चाइनीज लाइट्स नजर आती हैं. लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा क्योंकि राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने गाय के गोबर का इस्तेमाल कर इको-फ्रेंडली दीये बनाए हैं. ये जानकारी आयोग के चेयरमैन वल्लभभाई कथिरिया ने दी है.
आयोग ने गाय के गोबर की मदद से 33 करोड़ दीये बनाने का टारगेट सेट किया है. गाय के संरक्षण के लिए 2019 में बनाए गए इस आयोग ने गायों के गोबर से बनने वाले प्रोडक्ट्स के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल के लिए देशव्यापी अभियान चलाया है. कथिरिया का कहना है कि ये कैंपेन चाइनीज दीयों रिजेक्ट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया कॉन्सेप्ट और स्वदेशी मूवमेंट को मजबूत करेगा.
हर दिन होता है 192 करोड़ किलो गोबर प्रेड्यूस
इस अभियान में शामिल होने के लिए 15 राज्यों ने अपनी सहमति जताई है. करीब तीन लाख दीये अयोध्या में जलाए जाएंगे, जब कि एक लाख दीयों को वाराणसी में जलाया जाएगा. आयोग की ओर से कहा गया है कि दीयों का मैन्युफैक्चरिंग शुरू हो चुकी है और दिवाली से पहले 33 करोड़ दीये बनाने का लक्ष्य है. कथिरिया ने कहा कि भारत में प्रति दिन 192 करोड़ किलो गाय का गोबर प्रोड्यूस होता है. ऐसे में गाय के गोबर बहुत से प्रोडक्ट्स बनाए जा सकते हैं.
दीयों के अलावा आयोग गाय के गोबर, गौमूत्र और दूध से बनने वाले भी कई प्रोडक्ट्स का प्रचार कर रहा है, जिनमें एंटी-रेडिएशन चिप, पेपर वेट, लक्ष्मी और गणेश की मूर्तियां, मोमबत्तियां आदि शामिल हैं.