हरिद्वार के 946 सरकारी विद्यालयों को निजी स्कूलों से मुकाबले के लिए तैयार किया जा रहा है। शिक्षा विभाग इन विद्यालयों का कायाकल्प कर यहां स्मार्ट क्लासेस की शुरू की जाएंगी। पहले चरण में इंटर, हाईस्कूल और जूनियर हाईस्कूल के 147 विद्यालयों में पुस्तकालय और इंटरनेट की व्यवस्था कर इसकी शुरुआत कर दी गई है। बता दें कि लॉकडाउन और अनलॉक के दौरान शिक्षा विभाग की ओर से कक्षा एक से लेकर इंटर तक के करीब सवा लाख विद्यार्थियों को ऑनलाइन पढ़ाई भी कराई गई। विभाग ने इसमें दूरदर्शन का भी सहयोग लिया और घर-घर अपनी पहुंच बनाकर बच्चों को पढ़ाई में पिछड़ने नहीं दिया। खास बात ये भी है कि विभाग ने इसके लिए कोई अतिरिक्त खर्च नहीं किया। सहयोग और सीएसआर फंड से सारी व्यवस्था कर दी गई। इस बीच साफ-सफाई, निर्माण और रंग-रोगन कर विद्यालयों का हुलिया भी बदला गया है।
कोरोना काल में सरकारी विद्यालयों के कुल एक लाख 12 हजार 123 बच्चों तक अपनी पहुंच बनाने को शिक्षा विभाग ने अपनी नीति और रीति दोनों में बदलाव किया। साथ ही निजी स्कूलों की तरह कक्षा एक से लेकर इंटर तक के बच्चों की पढ़ाई को ऑनलाइन कर उनका साल बर्बाद होने से बचा लिया। हालांकि, कई तरह की दिक्कतों के चलते यहां के करीब 35 हजार विद्यार्थी ऑनलाइन शिक्षा के दायरे से बाहर थे। इसके लिए विभाग ने दूरदर्शन का सहयोग लिया। दूरदर्शन पर विभिन्न कक्षाओं के हिसाब से पठन-पाठन का काम किया गया। साथ ही इन विद्यार्थियों की पढ़ाई का नुकसान न हो, इसके लिए विभाग ने अपने शिक्षकों, पूर्व शिक्षकों, एनएसएस और एनजीओ के स्वयंसेवियों की मदद से स्कूल को बच्चों के घर तक ही पहुंचा दिया। यही वजह है कि जिले के एक भी सरकारी विद्यालय के विद्यार्थियों की पढ़ाई पर लॉकडाउन और अनलॉक का कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
लॉकडाउन से अनलॉक तक विद्यालयों का हुआ कायाकल्प
शिक्षा विभाग ने लॉकडाउन से लेकर विद्यालयी शिक्षा के बंद रहने का इस्तेमाल विद्यालयों की व्यवस्था में सुधार कर सदुपयोग किया। विद्यालयों में उनकी आवश्यकता के अनुसार निर्माण कार्य कराए गए। सभी 946 सरकार विद्यालयों जिनमें 671 प्राथमिक विद्यालय, 172 जूनियर हाइस्कूल और 68 हाइस्कूल और 35 इंटर कॉलेज हैं। प्राथमिक विद्यालयों में 70 हजार 695, जूनियर हाइस्कूल में 26 हजार 317, हाइस्कूल में 11 हजार 125 और इंटर कॉलेज में 3 हजार 986 छात्र-छात्राओं का नामांकन है।
पहले इनमें से तमाम विद्यालयों में विद्यार्थियों के लिए तो दूर शिक्षक-शिक्षिकाओं तक के लिए शौचालय या पीने के पानी की उचित व्यवस्था नहीं थी। विभाग ने इस दौरान जिले के सभी विद्यालयों में यह दोनों व्यवस्थाएं कर दी हैं। इतना ही नहीं सभी जूनियर हाईस्कूल, हाईस्कूल और इंटर कॉलेज में विद्युत कनेक्शन भी ले लिए गए हैं और सभी में पुस्तकालय भी बनवा दिया गया है। तमाम स्कूलों में सोलर पैनल के जरिए बिजली पहुंचाई गई है। सीएसआर फंड के जरिए विद्यालयों की फर्नीचर आवश्यकता को पूरा किया जा रहा है।
जल्द होगी स्मार्ट क्लासेस की शुरुआत
मुख्य शिक्षा अधिकारी डॉ. आंनद भारद्वाज का दावा है कि अगर सब कुछ रहा तो जल्द ही जिले के सभी सरकारी विद्यालयों में स्मार्ट क्लासेस की शुरुआत कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि इसके लिए सरकार पर अतिरिक्त बजट का बोझ डालने की बजाए नीति आयोग की आकांक्षी जनपद योजना के तहत सीएसआर फंड का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होने बताया कि व्यवस्था में सुधार का ही नतीजा है कि जिले के सभी सरकारी विद्यालयों के वार्षिक परीक्षाफल का औसत 73 फीसद से अधिक है। उनका कहना है कि विद्यालयी शिक्षा में सुधार का यह कार्यक्रम जारी रहेगा और कोशिश है कि सरकारी विद्यालयों का वार्षिक परीक्षाफल शत्-प्रतिशत हो।