पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद (Swami Chinmayanand) को सुप्रीम कोर्ट ने झटका दिया है. स्वामी चिन्मयानंद के पक्ष में दिए गए इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बदल दिया है. दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रेप के आरोपी पूर्व बीजेपी नेता स्वामी चिन्मयानंद को शाहजहांपुर की कानून छात्रा के द्वारा दर्ज कराए गए बयान की कॉपी देने के लिए कहा था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को रद्द कर दिया है.
बता दें कि पिछले साल सितंबर में यौन शोषण के आरोपी स्वामी चिन्मयानंद को मुमुक्षु आश्रम से गिरफ्तार किया गया था. यूपी पुलिस और SIT की संयुक्त टीम ने यूपी पुलिस के साथ मिलकर चिन्मयानंद को आश्रम से गिरफ्तार किया था. हालांकि इस साल फरवरी में अदालत ने उन्हें जमानत दे दी थी.
हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ पीड़िता पक्ष की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में केस दायर किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने 17 नवंबर 2019 को हाईकोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी थी और इस मामले में सुनवाई चल रही थी. पीठ ने उल्लेख किया कि 2014 में शीर्ष अदालत के फैसले के अनुसार, धारा 164 सीआरपीसी के तहत बयान की एक प्रति जांच अधिकारी को तुरंत दी जानी चाहिए. इसके साथ ही पीठ ने कहा कि जब तक आरोप पत्र (चार्जशीट) दायर नहीं कर दी जाती, तब तक सीआरपीसी की धारा 173 के तहत किसी भी व्यक्ति को बयान की सामग्री का खुलासा नहीं किया जाना चाहिए.
कॉलेज छात्रा ने लगाया था रेप का आरोप
पूर्व BJP नेता पर उनके ही कॉलेज में पढ़ने वाली लॉ की एक छात्रा ने दुष्कर्म और ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया था. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की दो सदस्यीय विशेष पीठ गठित करवा कर पूरे मामले की जांच के लिए SIT गठित करने का निर्देश दिया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 164 की तहत दर्ज बयान की कॉपी चिन्मयानंद को देने के फैसला दिया था.
क्या है पूरा मामला
24 अगस्त, 2019 को फेसबुक पर छात्रा ने एक वीडियो अपलोड किया था. वीडियो में नाम लिए बिना छात्रा ने अपने साथ हुए यौन शोषण और दुराचार की बात कही थी. पीड़िता ने कहा था कि उसे और उसके परिवार को एक संत से खतरा है छात्रा ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से न्याय की गुहार लगाई थी. वीडियो अपलोड होने के बाद हड़कंप मच गया था.