चीनी कंपनियों को रोकने के लिए भारत बना रहा नया सुरक्षा प्लान

आर्थिक मोर्चे पर चीन (China) की घेराबंदी के लिए भारत एक खास प्लान तैयार कर रहा है. अब इसी प्लान के जरिए चीनी कंपनियों (Chinese firms)को जोरदार झटका दिया जाएगा. भारत चीनी उत्पादों के उपयोग को कम करने के नियम कड़े करने जा रहा है. हिंदुस्तान टाइम्स की एक खबर के मुताबिक भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकार देश में आयाति​त होने वाले वस्तुओं के लिए ढांचा तैयार कर हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले से जुड़े विशेषज्ञों ने बताया कि भारत विदेशी आयात के लिए एक प्लान तैयार करने में जुटा है.

कपंनियों को बतना होगा उत्पादन स्थान और देना होगा विश्वसनीयता का परीक्षण

रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्लान के तहत मुख्य क्षेत्रों जैसे कि बिजली, दूरसंचार और सड़क परिवहन में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों की उत्पादन स्थान और उनकी विश्वसनीयता का परीक्षण किया जा सके. इसके अलावा, भारत ऑफ-द-शेल्फ खरीद के बजाय सरकार से सरकार या उद्योग से उद्योग साझेदारी मॉडल के माध्यम से 5 जी और 5 जी प्लस जैसी महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के विकास में सहयोगी भागीदारी का विकल्प चुन सकेगा.

गाइडलाइन की शर्तों को पूरा न करने वाली कंपनियों को नहीं मिलेगी अनुमति

रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि भारतीय कोर सेक्टर में भाग लेने वाली विदेशी कंपनियों को किसी भी संदेह पर उनको कंपनी की उत्पत्ति स्थान बताना होगा और पूरी तरह सत्यापन प्रक्रिया से गुजरना होगा. अन्यथा ऐसी कंपनियां जो अपना मूल स्थान न बताए उसे अनुमति नहीं दी जाएगी.

नए नियमों के लिए उद्योग और दूरसंचार विभाग फिलहाल तैयार नहीं

बिजली मंत्रालय ने फैसला किया है कि देश के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विदेशों से आयातित ऐसे उपकरणों की विश्वसनीयता का परीक्षण और आयातक के उत्पत्ति के देश की घोषणा के बाद यह उनके इस्तेमाल को सुनिश्चित किय जाएगा. मंत्रालय ने फैसला किया है कि वह अब विशेष गाइडलाइन के तहत काम करेगा.

हालांकि राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकारों और सरकार के प्रौद्योगिकी सलाहकार इस गाइडलाइन के लिए एकमत हैं लेकिन उद्योग और दूरसंचार विभाग से इस पर अभी पूरी तरह सहमत नहीं है. इनका कहना है कि नए नियमों से उपकरणों की लागत में इजाफा हो सकता है.

भारत जापान के साथ 5G पर सहयोग करने के लिए बहुत उत्सुक है, उसने संयुक्त उद्यम में किसी भी अपारदर्शिता के मामले में यूरोपीय और अमेरिकी दूरसंचार कंपनियों के विकल्प को खुला रखा है. बता दें कि मौजूदा समय में भारत का चीन के साथ होने वाला व्यापार करीब 47 अरब डॉलर का है.

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