आज हम आपको फरीदाबाद के एक हाउसिंग प्रोजेक्ट की कहानी बताएंगे. आरोप है कि दो साल की देरी के बाद बिल्डर ने खरीदारों को उनके मकान तो हैंडओवर कर दिए लेकिन 4 साल बीत जाने के बाद भी उनके घर की रजिस्ट्री नहीं हुई. होम बायर्स का कहना है कि बिल्डर ने प्रोजेक्ट के नाम पर बैंक से करोड़ों के लोन ले लिए. धोखाधड़ी के आरोप में बिल्डर तो आज जेल में है लेकिन होम बायर्स इस डर के साये में जीने को मजबूर हैं कि रजिस्ट्री के अभाव में उन्हें अपने घर से बेदखल किया जा सकता है. आरोप है कि होम बायर्स को फ्लैट हैंडओवर किए जाने के एक से डेढ़ साल के अंदर बिल्डिंग की नींव ही हिल चुकी है. यहां रहने वाले सैंकड़ों लोग डर के साये में जीने को मजबूर हैं. रौंगटे खड़े कर देने वाला ये कड़वा सच है फरीदाबाद के SRS CITY ROYAL HILLS सोसाइटी का.
जर्जर हो चुकी बिल्डिंग
आरोप है कि 2008 में लॉन्च इस प्रोजेक्ट की डिलीवरी में दो से तीन साल की देरी हुई. 2013 के बदले लोगों को 2015-16 से मकान का पजेशन मिलना शुरू हुआ लेकिन महज 5 साल में इमारत की हालत जर्जर हो चुकी है क्योंकि बिल्डिंग को बनाने में घटिया क्वॉलिटी के सामान लगाए गए. हाउसिंग प्रोजेक्ट एसआरएस सिटी रॉयल हिल्स के रेजिडेंट्स की जमीन तो तब हिल गई जब केनरा बैंक ने सोसाइटी के बाहर नोटिस चिपका कर पूरे प्रोजेक्ट पर अपना दावा ठोक दिया. घटना नवंबर 2017 की है. आरोप है कि बिल्डर ने बैंक से 110 करोड़ रुपए का लोन लिया था. बैंक के नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट के बगैर लोगों को मकान हैंडओवर कर दिया गया. नतीजा ये हुआ कि मकानों की रजिस्ट्री भी नहीं हो सकी और घर से हाथ धोने का खतरा भी मंडराने लगा है.
होम बायर्स का दर्द
पीड़ित होम बायर श्यामल राय कहते हैं कि हमारे साथ धोखा हुआ है. अब कहीं ना जा सकते ना तो मकान बेच सकते हैं. डर लगता है कहीं निकाल ना दिया जाए. इसी प्रोजेक्ट के दूसरे होम बायर के. बनर्जी कहते हैं कि कैनरा बैंक से इन्होंने टाई-अप किया था लेकिन बिल्डर ने भुगतान नहीं किया, जिसके बाद नवंबर 2017 को बाहर नोटिस लगा दिया गया कि बिल्डर ने बैंक के 110 करोड़ रुपए नहीं दिए है.
एक दूसरे पीड़ित होम बायर गुलशन अरोड़ा ने कहा कि उस वक्त हमें यही लग रहा था कि घर हमारे हाथ से निकल जाएगा. इसलिए हमने तुरंत सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. बता दें कि बैंक का नोटिस मिलने के बाद एसआरएस सिटी रॉयल हिल्स के निवासियों ने सुप्रीम कोर्ट से न्याय की गुहार लगाई. कोर्ट ने बैंक के आदेश पर रोक लगाकर बिल्डर के खिलाफ जांच के आदेश दिए. धोखाधड़ी के सबूत मिलने पर कार्रवाई हुई. बिल्डर के दफ्तर को सील कर दिया गया. बिल्डर के तीनों पार्टनर जेल में बंद हैं लेकिन मकान की रजिस्ट्री के अभाव में बायर्स के सिर पर बैंक की तलवार अब भी लटक रही है.
पीड़ित होम बायर गुलशन अरोड़ा बताते है कि बिल्डर अभी जेल में है उस पर 150 से ज्यादा मामले दर्ज हैं. होम बायर रवि भारद्वाज को तो अब कोई उम्मीद ही नजर नहीं आ रही कि आगे क्या होगा.
मामला सुप्रीम कोर्ट में
SRS CITY ROYAL HILLS सोसाइटी के 1458 मकानों में रहने वाले करीब 5000 लोगों की निगाह अब सुप्रीम कोर्ट पर टिकी है. उम्मीद है कि फैसला उनके हक में आएगा और बिल्डर के मकड़जाल से उन्हें मुक्ति मिलेगी.