श्रीनगर: गढ़वाल क्षेत्र के एक मात्र वीर चंद सिंह गढ़वाली मेडिकल कॉलेज में लोगों को थेरेपी प्लाज्मा थेरेपी का लाभ नहीं मिल पा रहा है. इसका कारण बेस अस्पताल में प्लाज्मा थेरेपी के इस्तेमाल में लायी जाने वाली मशीनों का अभाव है. श्रीनगर गढ़वाल में दिनों-दिन कोरोना के नये-नये मामले सामने आ रहे हैं. ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि मेडिकल कॉलेज में प्लाज्मा थेरेपी की व्यवस्थाएं हो जाती है तो इससे लोगों को काफी राहत मिलेगी.
बता दें कि प्लाज्मा थेरपी को मेडिकल साइंस की भाषा में प्लाज़्माफेरेसिस नाम से जाना जाता है. प्लाज्मा थेरिपी में खून के तरल पदार्थ या प्लाज्मा को रक्त कोशिकाओं से अलग किया जाता है. प्लाज्मा थेरिपी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, चेहरे, बाल की समस्याओं को दूर करने, सर्जरी इन सभी में प्लाज्मा थेरिपी का असर मरीज में 3-4 घण्टों में ही दिखने लगता है.
क्यों की जाती है प्लाज्मा थेरेपी
- प्लाज्मा थेरेपी को मुख्य रूप से संक्रमण का पता लगाने के लिए की जाती है. कई सारी बीमारियां संक्रमण से ही होती हैं इसलिए ऐसी बीमारियों का इलाज करने में प्लाज्मा थेरेपी काफी कारगर उपाय साबित होती है.
- वर्तमान समय में काफी सारे ट्रांसप्लांट किए जाते हैं, मगर कई बार ये असफल साबित हो जाते हैं.जब ट्रांसप्लांट कराने वाले लोगों के लिए डोनर पार्ट सही तरीके से काम नहीं करता है, तब उन्हें प्लाज्मा थेरेपी सहायता करती है.
- कई बार, खेल में चोट का इलाज करने के लिए फ्लास्माफेरेसिस का सहारा लिया जाता है.इस प्रकार, इस थेरेपी को स्पोर्ट्स इंजरी को ठीक करने के लिए भी किया जाता है.
- मायस्थीनिया ग्रेविस का इलाज करना- जब कोई व्यक्ति मायस्थीनिया ग्रोविस (Myasthenia gravis) से पीड़ित होता है, तो उसका इलाज करने के लिए डॉक्टर प्लाज्मा थेरेपी की सहायता करते हैं.
- मायस्थीनिया ग्रोविस से तात्पर्य ऐसी मानसिक बीमारी है, जिसमें लोगों की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं.
- अक्सर,प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल गुलियन बेरी सिंड्रोम का इलाज करने के लिए भी किया जाता है.
- गुलियन बेरी सिंड्रोम रोग-प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करने की बीमारी है, जिसका असर लोगों की सेहत पर पड़ता है और उनके बीमार होने की संभावना काफी अधिक बढ़ जाती है.