बार-बार भारत समेत कई देश पाकिस्तान को आतंक का पोषक बताते रहे हैं. ये कोई जुमला भर नहीं है, बल्कि उसके पीछे सच की वो इमारत खड़ी है जिसकी ईंटे पाकिस्तानी ज़मीन पर ही तैयार होती है. अमेरिकी नियामक फाइनेंशल क्राइम इन्फोर्समेंट नेटवर्क या फिनसेन (FinCEN) ने ऐसा खुलासा किया है जो सिर्फ पाकिस्तान की ही पोल नहीं खोलता बल्कि आतंक की जड़ों को भी ध्वस्त करने का काम करता है. फिनसेन ने जो खुलासा किया है उसकी कहानी एक शख्स अल्ताफ खनानी (Altaf Khanani) के इर्द-गिर्द घूमती है. एक ऐसा पाकिस्तानी बिजनेसमैन जिसने सिर्फ आतंक को ही नहीं पाला बल्कि नशे के कारोबार में भी इतना पैसा लगाया जिसको सुनकर किसी के भी होश उड़ सकते हैं.
फिनसेन की ‘सस्पीशियस एक्टिविटी रिपोर्ट’ (SAR) ने खनानी का नाम स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की शिकायत के बाद शामिल किया था. हर साल 16 बिलियन डॉलर की रकम इधर-उधर करने वाला खनानी हवाला की स्याह दुनिया का किंग था. इतनी बड़ी रकम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकियों के पोषण और नशे को बढ़ावा देने के लिए खर्च की जाती थी. अलकायदा, तालिबान के आतंकी संगठनों, हिजबुल और भारत के सबसे बड़े दुश्मन दाऊद से क़रीबी रिश्ते इस हवाला किंग की औकात की कहानी बयां करते हैं. इन आतंकियों को खनानी सालों तक हर साल तकरीबन 16 बिलियन अमेरिकी डॉलर्स ट्रांसफर करता रहा.
अल्ताफ खनानी की पूरी कुंडली
यूं तो खनानी पाकिस्तानी नागरिक है लेकिन उसकी जड़े गुजरात से जुड़ी हुई हैं. खनानी का मेनन परिवार मूल रूप से गुजरात से ताल्लुक रखता है. उसका परिवार भारत बंटवारे के बाद पाकिस्तान चला गया और सिंध में जा बसा. उसके पिता अब्दुल सत्तार कपड़ों की फेरी लगाने का काम करते थे. उसका भाई जावेद भी हवाला कारोबार से जुड़ा रहा जिसने 2016 में आत्महत्या कर ली थी.
कैसे करता था पैसों का हेरफेर
खनानी पैसों का हेरफेर खनानी MLO और अल जरूनी एक्सचेंज के नाम से करता था. इन कंपनियों की जड़ें ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका में फैली हुई थीं. हवाला का पैसा जहां भी भेजना होता था उससे पहले उतनी कीमत का सोना या हीरे ख़रीद लिए जाते थे, जिसके बाद तस्करी के ज़रिए उस हीरे या सोने को दूसरी जगह पहुंचाया जाता था. एक बार जब तस्करी के बाद ये सोना या हीरे पहुंच जाते थे उसके बाद उसको उस जगह बेचकर पैसा ग्राहकों तक पहुंचाया जाता था. इस पैसे के ज़रिए आतंकी संगठन खुद को मज़बूत करके आतंकियों की ट्रेनिंग से लेकर तबाही के मंज़र तक हर चीज़ में किया करते थे. रिपोर्ट्स बताती हैं कि 1993 और 2008 में हुए मुंबई हमलों में भी खनानी के पैसों का ही इस्तेमाल किया गया था.
कैसे खनानी पर कसा था शिकंजा
अल्ताफ को 2015 में पनामा एयरपोर्ट से गिरफ्तार भी किया गया था. अमेरिकी अदालत ने उसे 68 माह की सजा सुनाई. जुलाई 2020 को उसकी सजा खत्म हो गई है. जिसके बाद उसे अमेरिकी इमिग्रेशन डिपार्टमेंट को सौंपा गया था. फिलहाल साफ नहीं है कि वह पाकिस्तान में है या फिर उसे यूएई भेजा गया. अल्ताफ के दाऊद से भी कनेक्शन हैं इसका पता भी अमेरिका ने लगाया था. फिर यूएस ऑफिस ऑफ फॉरन एसेट कंट्रोल (OFAC) ने उसपर कई पाबंदियां लगाई थीं.
आतंक के आकाओं के लिए जुगाड़ी रकम
अमेरिका केफ़ॉरेन ऐसेट्स कंट्रोल दफ्तर ने 11 दिसंबर 2015 में एक बयान में कहा था कि खनानी के लश्कर-ए-तैबा, दाऊद इब्राहिम, अल-क़ायदा और जैश-ए-मोहम्मद से भी उनके रिश्ते हैं. उसने वित्तीय संस्थाओं में अपने रिश्तों के चलते आतंक के आकाओं के लिए ख़रबों डॉलर्स को इकट्ठा किया. लश्कर और जैश से संबंधों को चलते भारतीय एजेंसियां इस नेटवर्क के ध्वस्त होने को बड़ी कामयाबी मान रही हैं. खनानी के वकील ने कहा है कि उसके पास अब कोई पैसा नहीं है उसके सारे एकाउंट्स को फ्रीज कर दिया गया है. बीतें पांच सालों में वो किसी भी व्यापारिक गतिविधि से जुड़ा नहीं रहा.