अब काठगोदाम स्थित वन विभाग के आउटलेट स्टोर पर मिलेंगे पारंपरिक पहाड़ी उत्पाद

हल्द्वानी: अगर आपको उत्तराखंड के पारंपरिक पहाड़ी उत्पाद चाहिए तो चले आइए हल्द्वानी के काठगोदाम स्थित वन विभाग के आउटलेट स्टोर पर. यहां आपको पहाड़ की मिश्रित अनाज के साथ-साथ कई तरह के फलों से बने उत्पाद मिल सकेंगे. आउटलेट का संचालन वन विभाग के साथ साथ कोऑपरेटिव एजेंसी जायका और नैना देवी स्वायत्त सहायता समूह द्वारा किया जा रहा है.

पहाड़ के मिश्रित अनाज मडुआ, जौ का आटा, राजमा, काले और सफेद भट्ट, शुद्ध देसी घी, मसाले, बुरांश के जूस के अलावा कोई भी पहाड़ी उत्पाद आपको खरीदना हो तो आपको भटकने की जरूरत नहीं है. उत्तराखंड वन विभाग और नैना देवी (जायका) समूह सहायता के माध्यम से काठगोदाम में आउटलेट खोला गया है. इसमें पहाड़ के सभी उत्पाद आप खरीद सकते हैं. जायका परियोजना के तहत वन विभाग पूरे प्रदेश में बिक्री के लिए 3 जगहों पर अपने आउटलेट स्टोर को संचालित कर रहा है.

परियोजना के विपणन अधिकारी के एन दुम्का ने बताया कि वन पंचायतों से जुड़े लोगों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने और पहाड़ी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए वन विभाग और जायका परियोजना के तहत आउटलेट स्टोर खोले गए हैं. नैनीताल जिले के 80 वन पंचायतों के करीब 150 सहायता समूह इस परियोजना के अंतर्गत काम कर रहे हैं. काठगोदाम स्थित नैनीताल रोड पर द हिल हाट नाम से आउटलेट स्टोर खोला गया है. यहां पहाड़ी उत्पाद को खरीदने के लिए लोग को पहुंच रहे हैं.

एन दुम्का ने बताया कि उत्तराखंड के कई दूरस्थ और सीमांत क्षेत्रों के भी उत्पादन यहां पहुंच रहे हैं. इसमें मुख्य रुप से मुनस्यारी का राजमा, लाल चावल, बद्री गाय का घी भी शामिल है. मुनस्यारी की राजमा ₹120 किलो, पीसी हुई पहाड़ी हल्दी ₹200 किलो, मंडवा का आटा ₹90 किलो, सेब की चटनी ₹300 किलो, सेब जेम ₹320 किलो, बुरांश का जूस ₹160 लीटर, आंवला जूस ₹130 लीटर, जौ का आटा ₹80 किलो, लहसुन ₹200 किलो, प्योर पहाड़ी सूखी मिर्च ₹200 किलो, काला और सफेद भट्ट ₹110 किलो की दर पर मिल रहा है.

स्वयं सहायता समूह द्वारा पहाड़ी उत्पाद की एजेंसी के माध्यम से खरीद की जाती है. इसकी पूरी फंडिंग वन विभाग द्वारा की जाती है. इसके माध्यम से पहाड़ के पारंपरिक खेती करने वाले किसानों को उनके उत्पाद के अच्छे दाम मिल सकेंगे. इस परियोजना के माध्यम से किसान सीधे अपने उत्पाद को जायका संस्था को दे सकते हैं, जिससे उनके उत्पादों के अच्छे दाम मिल सकेंगे.

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