केंद्र सरकार द्वारा कोरोना की जांच ऑन डिमांड कर दिए जाने के बाद अब उत्तराखंड में भी यह व्यवस्था लागू कर दी गई है। यानी, अब कोई भी व्यक्ति बिना डॉक्टरी परामर्श के किसी भी सरकारी या निजी लैब में तय दरों पर अपनी कोरोना जांच करा सकता है। शासन ने इसकी अनुमति दे दी है। इसके अलावा राज्य में कोरोना जांच की दरें भी आने वाले दिनों में कुछ कम हो सकती हैं। इसके लिए दिल्ली की दरों पर नजरें टिकी हैं।
आइसीएमआर की गाइडलाइन के तहत प्रदेश में अभी तक डॉक्टरी परामर्श के बाद ही सरकारी और निजी लैब में कोरोना की जांच हो रही थी। अब जबकि कोरोना संक्रमण के मामले निरंतर बढ़ रहे हैं, तो इसे देखते हुए जांच के लिए डॉक्टरी परामर्श से छूट दे दी गई है। स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि यदि किसी व्यक्ति को लगता है कि उसमें कोरोना का कोई लक्षण है, तो वह ऑन डिमांड किसी भी सरकारी और निजी लैब में जांच करा सकता है। इसके लिए दरें पहले से ही निर्धारित हैं।
स्वास्थ्य सचिव नेगी के अनुसार राज्य सरकार ने कोरोना जांच की जो दरें तय की हैं, वे आइसीएमआर की गाइडलाइन और दिल्ली की दरों के आधार पर हैं। उन्होंने कहा कि अगर दिल्ली में कोरोना जांच की दरें कम होती हैं तो इसी के अनुरूप उत्तराखंड में भी कोरोना जांच की दरें कम हो जाएंगी। वर्तमान में राज्य में कोरोना जांच के लिए सरकारी और निजी क्षेत्र की लैब पर्याप्त हैं। अगले 15 दिन में रुद्रपुर की लैब भी शुरू हो जाएगी। इसके अलावा दून मेडिकल कॉलेज की लैब की क्षमता बढ़ाने पर काम चल रहा है। वहां अभी तक रोजाना 1400 टेस्ट हो रहे हैं, जिसे 2000 प्रतिदिन तक ले जाने का लक्ष्य है। इसी प्रकार अन्य लैब की क्षमता भी बढ़ाई जाएगी।
फिलहाल, राज्य में नहीं बैकलॉग स्वास्थ्य सचिव ने कोरोना जांच का बैकलॉग बढ़ने से इनकार किया। उन्होंने कहा कि रोजाना ही जिलों में छह-सात हजार सैंपल लिए जा रहे हैं। जिलों से ये सैंपल दूसरे दिन जाच के लिए भेजे जा रहे हैं। फिर इन्हें दिल्ली भी भेजा जा रहा है। ऐसे में 14-15 हजार सैंपल लंबित दिख रहे हैं, लेकिन दो तीन दिन में रिपोर्ट आ जा रही है। उन्होंने बताया कि अगर देहरादून में कोई तकनीकी दिक्कत न हो तो उसी दिन सैंपल जांच के लिए लगाए जा रहे हैं। निजी लैब भी सैंपल एकत्रित कर ही रहे हैं।