उत्तराखंड में भले ही 2022 के विधानसभा चुनाव भले ही दूर हों मगर सियासी बिसात अभी से बिछने लगी है। क्षेत्रीय दल उक्रांद की सुस्ती, बसपा की मैदानी जिलों तक सिमटने की वजह से रिक्त सियासी शून्य को भरने के लिए दिल्ली की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी जोर आजमाइश कर रही है। आप की नजर भाजपा, कांग्रेस के पंचायत चुनाव व पिछले विस् चुनाव में दम दिखा चुके नेता हैं, जो भले ही हार गए हों मगर उनका सियासी आधार मजबूत हो। पंचायत चुनाव में इन दलों के निर्दलीय जीते जिला पंचायत सदस्य भी हैं। जिन्हें अनुशासनहीनता में निष्कासित किया गया है मगर वह दूसरे दलों में शामिल नहीं हुए हैं। विधायकों से नाराज पब्लिक को वोट में समेटने वाले भी आप की सूची में शामिल हैं।
सूत्रों के अनुसार पुराने भाजपाइयों में लालकुआं से जिला पंचायत सदस्य डॉ मोहन सिंह बिष्ट, डीडीहाट से निर्दल प्रत्याशी रहे किशन सिंह भंडारी, रानीखेत के प्रमोद नैनवाल, रामनगर में पूर्व प्रमुख व कांग्रेसी संजय नेगी, रामगढ़ के ब्लॉक प्रमुख लाखन सिंह नेगी, चम्पावत जिले में भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष हिमेश कलखुड़िया समेत तराई के अनेक भाजपा, कांग्रेस के नाराज व निष्कासित नेताओं से आप के रणनीतिकार सपर्क कर चुके हैं मगर ये नेता पहले आप की सियासी जमीन भांपने के साथ ही अपने दलों में आकाओं से संपर्क साध रहे हैं। बहरहाल जल्द कुमाऊं में बड़ा सियासी उलटफेर करने के लिए तानाबाना बुना जा रहा है, जिसके झटके राष्ट्रीय दलों को लग सकते हैं।